डा उदित राज
आजादी के बाद देश में शासन-प्रशासन की बागडोर अधिकतर समय कांग्रेस के ही हाथ में थी। आजादी के 66 वर्ष बीत गए दलित-आदिवासी की प्रगति में खास परिवर्तन नहीं हुआ। आरक्षण यदि सरकारी नौकरियों एवं जनप्रतिनिधित्व में नहीं होता तो हम आज भी वहीं खड़े होते जब देश आजाद हुआ था। आज भी इनकी भागीदारी व्यापार, पूंजी, उच्च शिक्षा, मीडिया, उच्च न्याय पालिका, कला एवं संस्कृति, निर्माण, टेलीकाम, विभिन्न प्रकार की सेवाएं, सप्लाई, ठेका, आयात-निर्यात, आई.टी. आदि में शून्य के बराबर है। क्या बिना दलित भागीदारी के खुशहाल और अखण्ड भारत का निर्माण किया जा सकता है?
वर्तमान यूपीए सरकार के लगभग 10 साल के शासन में एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है, जो कहा जा सके कि दलितों व आदिवासियों की गिरती हुई हालत को सुधारने में सहयोगी हो। संसद में आरक्षण कानून बनाने के लिए 2004 से विधेयक लंबित है, जो अभी तक पास नहीं किया जा सका। पदोन्नति मेें आरक्षण देने के लिए राज्य सभा से तो बिल पास हो गया है, लेकिन लोकसभा से न हो सका। इस सत्र में यह भी आश्वासन दिया गया था कि स्पेशल कंपोनेंट और ट्राइबल सब-प्लान को लागू करने के लिए संसद में कानून बनेगा, लेकिन वह भी न हो सका। 2004 में न्यूनतम साझा कार्यक्रम मंे निजी क्षेत्र में आरक्षण देने के लिए यूपीए सरकार ने वायदा किया था, लेकिन समितियों की बैठकों तक ही सीमित रह गया। बहुजन समाज पार्टी का जब उत्थान हुआ तो उसी समय नई आर्थिक नीति देश में लागू हुई और जिसके कारण भूमण्डलीकरण, उदारीकरण व निजीकरण बढ़ा। निजीकरण के कारण नौकरियां लगातार घटी। तब बसपा या दलित नेतृत्व के उभार का क्या लाभ?लाभ तो तब होता, जब या तो निजीकरण रूक पाता या उसमें भागीदारी सुनिश्चित होती। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी के अस्तित्व का हमें क्या फायदा?
अनुसूचित जातिध्जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के तत्वावधान में सन् 1997 से संघर्ष जारी किया कि पांच आरक्षण विरोधी आदेश वापिस किए जाएं। ज्ञात रहे कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, द्वारा ये आदेश उस समय जारी हुए थे, जब केन्द्र में सामाजिक न्याय की सरकार थी। उसके बाद श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार आयी। हमारा संघर्ष आरक्षण विरोधी आदेशों को वापिस कराने का जारी रहा और वाजपेयी जी की सरकार ने 81वां, 82वां एवं 85वां संवैधानिक संशोधन किया और तब जाकर छीने गए आरक्षण के लाभ को बहाल कराया जा सका।
श्री राजनाथ सिंह एवं श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी न केवल पहले की मांगें पूरी करेगी बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी का युग शुरू होगा। हम दलित-आदिवासी एवं अति पिछड़े समाज से विशेष रूप से आग्रह करते हैं कि दुष्प्रचार में न आएं कि भाजपा उनकी विरोधी है बल्कि अब समय आ गया है कि सही निर्णय लें और पूरी ताकत से समर्थन देकर केन्द्र में आगामी सरकार बनवाएं। भारतीय जनता पार्टी अखण्ड और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण चाहती है और वह तभी संभव है जब हमारा सहयोग उसे मिले। सहयोग मिलता है तो सरकार बनती है, तभी हमें विभिन्न क्षेत्र जो उपरोक्त में उल्लेखित हैं, भागीदारी मिलेगी।
- डा उदित राज
9899766882
Email- dr.uditraj@gmail.com
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