अतुल मोहन सिंह
युवाओं में
अपराध के लिए वैसे तो किसी एक कारण को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है पर अवसाद
निश्चित तौर पर इसमें एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका लांसेट
का सर्वे कहता है कि भारत में युवाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है
आत्महत्या। हालांकि हमारे समाज और परिवारों का विघटन जिस गति से हो रहा है किसी
शोध के ऐसे नतीजे चौंकाने वाले नहीं हैं। जीवन का अंत करने वाले इन युवाओं की उम्र
है 15
से 29 वर्ष है। यानि कि वो आयुवर्ग जो
देश का भविष्य है। एक ऐसी उम्र जो अपने लिए ही नहीं समाज, परिवार और देश के लिए कुछ स्वपन संजोने और
उन्हें पूरा करने की ऊर्जा और उत्साह का दौर होती है। पर जो कुछ हो रहा है वो
हमारी आशाओं और सोच के बिल्कुल विपरीत है। आमतौर पर माना जाता है कि गरीबी अशिक्षा और
असफलता से जूझने वाले युवा ऐसे कदम उठाते हैं। ऐसे में इस सर्वे के परिणाम थोड़ा
हैरान करने वाले हैं। इस शोध के मुताबिक उत्तर भारत के बजाय दक्षिण भारत में
आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या अधिक है। इतना ही नहीं देशभर में आत्महत्या
से होने वाली कुल मौतों में से चालीस प्रतिशत अकेले चार बड़े दक्षिणी
राज्यों में होती हैं। यह बात किसी से छिपी ही नहीं है कि शिक्षा का प्रतिशत
दक्षिण भारत में उत्तर भारत से कहीं ज्यादा है। काफी समय पहले से ही वहां रोजगार
के बेहतर विकल्प भी मौजूद रहे हैं। ऐसे में देश के इन हिस्सों में भी आए दिन ऐसे
समाचार अखबारों में सुर्खियां बनते हैं। इनमें एक बड़ा प्रतिशत जीवन से हमेशा के
लिए पराजित होने वाले ऐसे युवाओं का है जो सफल भी हैं, शिक्षित भी और धन दौलत तो इस पीढ़ी ने उम्र
से पहले ही बटोर लिया है।Wednesday, 26 November 2014
अवसाद बना रहा अपराधी
ये दिल मांगे मोर
अतुल मोहन सिंह
यंग जेनरेशन की अब यही
पंचलाइन है. उसके इस अरमान को पूरा कर रहे हैं आए दिन लॉन्च होने वाले नए गैजेट्स।
जब बात स्टाइल स्टेटमेंट की हो, तो जेनरेशन-जी यानी गैजेट
जेनरेशन के लिए ब्रांडेंड जींस या जूतों से कहीं ज्यादा खास अब टेबलेट, आइपैड, नोटबुक, थिंकपेड और फेबलेट बन गए हैं। पूरी तरह एंटरटेनमेंट का मकसद
पूरा करने वाला यह बाजार जेनरेशन-जी के दिमाग पर छाया हुआ है। युवाओं की पूरी लाइफस्टाइल
का अंदाज बदल रहा है। ख्वाबों को फौरन पूरा होते देखने की चाहत रखने वाली जेनरेशन
की इस नई दीवानगी की नब्ज टटोलना भी आसान नहीं, क्योंकि हर दूसरे हफ्ते
ट्रेंड बदल जाता है. जो आज नया है वह कुछ दिन बाद ही आउटडेटेड हो जाता है। अब
गैजेट की दुनिया मोबाइल तक ही नहीं सिमटी है। फोन अगर रोजमर्रा की जरूरत में शामिल
है. तो दूसरे छोर पर टेबलेट, आइपेड, नोटबुक, थिंकपेड, फेबलेट आदि भी हैं।
यंग जेनरेशन नई टेक्नालॉजी
को सबसे पहले अडॉप्ट करती है. भारत की तेजी में इसका रोल सबसे बड़ा है। जाहिर है, नई टेक्नालॉजी के दीवानों में युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा
होती है। हर हफ्ते बड़ी कंपनियां बाजार में टेबलेट, आइपेड, नोटबुक, थिंकपेड, फेबलेट आदि जैसे गैजेट्स उतारती रहती हैं. इनका सबसे बड़ा
दीवाना युवावर्ग है, सोते जागते युवा पीढ़ी इन्हीं से घिरी रहती
है। यह न केवल उनकी दिनचर्या में शामिल है बल्कि उनके मनोरंजन साधनों में भी शुमार
है। लैपटॉप की कीमत पर ही मिल
रहे टेबलेट यूजर्स को आकर्षित कर रहे हैं। सिटी स्टोर्स की मानें तो लोग अब लैपटॉप
की बजाय टैब लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसकी वजह इसमें दिए गए बेहतरीन फीचर्स
हैं। लैपटॉप को धीरे-धीरे टैब रिप्लेस कर रहा है। शहरों में फिलहाल आईपैड और टैब
की डिमांड ज्यादा है। इन दिनों ऐसे कई गैजेट्स
है, जो स्टूडेंट्स की स्टडी में बेहद मददगार
साबित हो रहे हैं, जिनमें टेबलेट, फेबलेट व आइपेड आदि हैं।
खासतौर से विद्यार्थियों के लिए टेबलेट काफी उपयोगी है। टेबलेट न केवल विद्यार्थियों
के लिए फायदेमंद हैं बल्कि यह शिक्षकों के लिए भी सुविधाजनक हैं। शिक्षक वीडियो, आडियो, वेब कंटेट, लाइव पोलिंग और अतिथि प्रवक्ताओं की वीडियो कांफ्रेंस को
कक्षा में पेश कर सकते हैं, जिससे विद्यार्थियों को समझाना काफी आसान हो
सकता है।
तकनीकी में नित हो रहे
परिवर्तनों ने गैजेट्स की दुनिया में धमाल मचाया हुआ है। बाजार में नई-नई खूबियों
से सुसज्जित आकर्षक गैजेट्स (मोबाइल फोन, लैपटॉप, फेबलेट, टेबलेट डेस्कटॉप, आईपेड, आईफोन, आईपोड) की बाढ़ सी आई हुई है, जो हर किसी को (खासकर
युवाओं को) अपनी ओर खींच रहे हैं। साथ ही गैजेट्स बनाने वाली कंपनियां भी अपने
उत्पाद में युवाओं की पसंद का खास ख्याल रखती हैं, ताकि उनका उत्पाद बाजार में
आते ही छा जाए। युवाओं में गैजेट्स के प्रति बढ़ते रुझान के चलते इस क्षेत्र से
जुड़ी देशी-विदेशी कंपनियां समय-समय पर नई खूबियों वाले गैजेट बाजार में उतारती
रहती हैं। नैनो टैक्नोलॉजी को पसंद
करने वाले यंगस्टर्स का रूझान अब लैपटॉप से शिफ्ट होकर टेबलेट की ओर बढ़ रहा है।
स्मार्ट फीचर्स और न्यू लुक में आने वाले यह टेबलेट लैपटॉप से सस्ते होने के कारण
इन दिनों यंगस्टर्स में काफी डिमांड में चल रहे हैं। कंप्यूटर और मोबाइल दोनों की
महत्ता के चलते यूजर्स ने इस वर्ष टेबलेट्स की ओर रुख किया है। अभी कुछ समय पहले
लॉन्च हुए एप्पल आईपेड-2 और सैमसंग गैलेक्सी टेब को यूजर्स द्वारा
खासतौर पर पसंद किया गया। इनके अलावा ब्लैकबेरी प्लेबुक, मोटोरोला जूम, एचटीसी, फ्लायर टेबलेट्स की भी मांग रही।
टेबलेट के साथ-साथ फेबलेट
की डिमांड भी बढ़ी है। यह टेबलेट और स्मार्टफोन का मिलता जुलता रूप है, जो टेबलेट और पीसी की जरूरतों को पूरा कर सकता है। यह
स्मार्टफोन की तरह काम करता है और टेबलेट की तरह इसमें डिजीटल टाइपिंग, एडिटिंग रिकार्डिंग, ईमेल आदि की सुविधा है। यही
कारण है कि इसकी डिमांड में भी इजाफा हो रहा है। आज का यूथ स्टाइल, गैजेट्स, स्टाइल स्टेटमेंट का दीवाना
है। लाइफ जीने का उनका फंडा एकदम क्लीयर है। मस्ती-धमाल, तेज बाइक राइडिंग, फ्रेंडस के साथ पार्टी और
लिव लाइफ किंग साइज जीने के तरीके के साथ-साथ युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी है
गैजेट्स। उनकी अंगुलियां दिनभर मोबाइल और टेबलेट्स पर चलती रहती हैं। बाजार में जो
भी हाई फीचर वाले गैजेट्स आते हैं, उनकी जानकारी सबसे पहले
युवाओं को होती है और उसे खरीदने के लिए युवा अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ते।
आईपैड, लैपटॉप और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के दीवाने
यूथ इससे एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नहीं कर पाते।
जितनी अधिक दीवानगी से युवा
अपने पसंदीदा गैजेट का चुनाव करते हैं, उससे कहीं अधिक तन्मयता से
वे उसका इस्तेमाल भी करते हैं। देखने में आया है कि युवा अपने स्मार्टफोन, आइपैड, टेबलेट और फेबलेट का प्रयोग
दोस्तों को एस.एम.एस. भेजने, सोशल नेटवर्किंग साइट्स से
जुड़ने, म्यूजिक सुनने,
वीडियो
देखने, समाचार पत्र तथा मैगजीन पढ़ने, स्टडी करने आदि के लिए करते हैं। टेक्नालॉजी की तरक्की की बदौलत युवाओं को कई तरह के नए
गैजेट्स मिल रहे हैं। फेबलेट, टेबलेट व आईपैड जैसे
गैजेट्स के माध्यम से ई-लर्निंग, ई-बुक्स, जनरल्स, आनलाइन मैटीरियल, क्विज आदि का लाभ कभी भी कहीं भी उठाया जा सकता है।
पोर्टेबल डिवाइस होने के कारण क्लॉस के बाहर भी लर्निंग में इसकी मदद ली जा सकती
है।
ज्यादातार यंग प्रोफेशनल्स
में हैंडी एडवांस एंड्रॉयड टेबलेट की डिमांड है। एडवांस वर्जन से वर्किंग फास्ट
होने के साथ ही फीचर्स और एप्लीकेशंस भी एडवांस हुई हैं। जो टेबलेट सबसे ज्यादा
पसंद आ रहे हैं उनमें 5 से 15 हजार के टेबलेट की रेंज
शामिल है। इन रेंज में मल्टीनेशनल कंपनी से लेकर इंडियन कंपनी तक के टेबलेट का
कलेक्शन मौजूद है।
लेटेस्ट टेक्नालॉजी ने
स्टूडेंट्स की पढ़ाई को जहां ईजी बना दिया है, वहीं यंगस्टर्स के लिए यह
मनोरंजन का परफेक्ट आइडिया साबित हो रहा है। आजकल टेबलेट का क्रेज काफी देखने को
मिल रहा है। इसकी सहायता से स्टूडेंट स्टडी प्लान बना सकते हैं। सामुहिक
गतिविधियों जैसे ग्रुप डिस्कशन और प्रेजेंटेशन को रिकॉर्ड कर सकते हैं। देखा जाए
तो ये गैजेट्स विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है। यंग इंडिया ने ही भारत को
आज मोबाइल का सबसे तेज उभरता बाजार बना दिया है और इस तेजी में चीन भी उसके पीछे
है। भारत में 21 करोड़ से ज्यादा फोन कनेक्शन हैं जो 2010 तक 50 करोड़ हो जाएंगे। यंग जेनरेशन नई टेक्नॉलजी
को सबसे पहले अडॉप्ट करती है और भारत की तेजी में इसका रोल सबसे बड़ा है। गैजेट की
दुनिया मोबाइल तक ही नहीं सिमटी है। फोन अगर रोजमर्रा की जरूरत है तो दूसरे छोर पर
गेमिंग सेगमेंट है। पूरी तरह एंटरटेनमेंट का मकसद पूरा करने वाला यह बाजार भी
जेनरेशन-जी के दिमाग पर छाने लगा है, एक्सबॉक्स, प्लेस्टेशन और निन्टेंडो जैसे नाम उसके लिए अनजान नहीं हैं।
रिसर्च फर्म आईसप्लाई की स्टडी के मुताबिक 2006
में
भारत का गेमिंग मार्केट 1.33 करोड़ डॉलर का था जो 2010 तक 12.54 करोड़ डॉलर का हो जाएगा। एक
रुपये का सिक्का डालकर विडियो गेम खेलने से लेकर घर में कंसोल लगाकर हाई टेक
गेमिंग तक पहुंचने में इंडिया के यूथ ने लंबा सफर तय किया है। भारत में यह
इंडस्ट्री तेजी से डिवेलप हो रही है और इसी वजह से उनकी कंपनी ने अपने लेटेस्ट
प्रॉडक्ट एक्सबॉक्स-360 पर यहां भारी निवेश किया है।
पिछले 12 महीने में भारत की गेमिंग इंडस्ट्री ने अपने कदम जमाना सीखा
है और अब इस ओर लोगों का रुझान इतना बढ़ा है कि जपाक और इंडियाटाइम्स जैसी
वेबसाइट्स गेमिंग पर खासा जोर दे रही हैं। वर्ल्ड कप के दौरान माइक्रोसॉफ्ट ने
भारत में पहली बार युवराज सिंह को थीम बनाते हुए अपना गेम पेश किया, जो वर्ल्ड कप में भारत की हार के बाद खासा पॉपुलर हुआ। इंडिया
स्पेसिफिक गेम्स का चलन बढ़ेगा और वह दिन दूर नहीं जब बॉलिवुड गेमिंग पर आधारित
फिल्म भी बनाएगा। उनका कहना है कि गेमिंग कंसोल पर अब भी 54 पर्सेंट टैरिफ है जिस वजह से ये थोड़े महंगे पड़ते हैं, सरकार अगर इसमें भी मोबाइल सेगमेंट की तरह कटौती करे तो
गेमिंग का जादू सिर चढ़कर बोलेगा। आईपॉड का क्रेज किसी से छिपा नहीं है और अब भारत
भी बेसब्री से एप्पल के लेटेस्ट प्रॉडक्ट आईफोन का इंतजार कर रहा है। आईपॉड वाले
इस फोन में कैमरा समेत मिनी कंप्यूटर जैसे तमाम फीचर हैं। वैसे इस बात की पूरी
गारंटी है कि आईफोन अमेरिका में चले या नहीं, उसके भारत में हिट होने के
चांस ज्यादा है। यूनिवर्सल मैकैन के ग्लोबल सर्वे के मुताबिक एक ही मशीन में सबकुछ
हासिल करने की चाहत अमेरिका या जापान से भी ज्यादा भारत में है। अमेरिका में 31 पर्सेंट, जापान में 27 पर्सेंट लोगों ने एक मशीन में ज्यादा फीचर को अपनी पसंद
बताया जबकि मेक्सिको के लिए यह तादाद 79 और भारत मे 70 पर्सेंट थी।
दिल्ली में होगा विश्व हिन्दू कांग्रेस का आयोजन
दिल्ली. विश्व हिन्दू कांग्रेस
का आयोजन 21 से 23 नवम्बर तक दिल्ली में किया जा रहा है. यह आयोजन वर्ल्ड हिन्दू
फाउंडेशन है. इस महासम्मेलन में 40 देशों के 1500 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सेदारी
करेंगे. ये सभी प्रतिनिधि अपने-अपने देशों में ख्यात और स्थापित हिन्दू व्यवसायी,
राजनीतिज्ञ, मीडिया विशेषज्ञ, युवा, महिला और संगठन हैं. उल्लेखनीय है कि विश्व
हिन्दू कांग्रेस में सात भिन्न-भिन्न मंचों पर चर्चा की जायेगी. महासम्मलेन के
दौरान विश्व हिन्दू आर्थिक मंच द्वारा हिन्दू आर्थिक सम्मलेन, हिंदू शिक्षा बोर्ड
द्वारा हिंदू शैक्षिक सम्मेलन, हिंदू छात्र-युवा नेटवर्क द्वारा
हिन्दू युवा सम्मेलन, हिन्दू मीडिया मंच द्वारा हिन्दू मीडिया सम्मलेन, हिन्दू
महिला मंच द्वारा हिन्दू महिला सम्मलेन, हिन्दू संगठन, मंदिरों और संघों द्वारा
हिन्दू संगठनात्मक सम्मलेन और विश्व हिन्दू लोकतान्त्रिक मंच द्वारा हिंदू राजनीतिक सम्मेलन का
आयोजन होगा.
विश्व हिन्दू कांग्रेस के स्वामी
विज्ञानानंद के अनुसार विश्व हिन्दू कांग्रेस 2014 का
आयोजन नई दिल्ली स्थित अशोक होटल में विश्व हिंदू फाउंडेशन
द्वारा किया जा रहा है. यह महासम्मलेन हिन्दू सिद्धांत ‘संगच्छध्वम्
संवदध्वम्’ से प्रेरित है, जिसका अर्थ है हम साथ मिलकर
चलें, हम साथ मिलकर सोचें. बकौल स्वामी विज्ञानानंद, विश्व हिंदू महासम्मेलन
के पीछे मुख्य विचार विश्व भर में असंख्य चुनौतियों का सामना कर रहे हिन्दू समाज
के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करना है जो हिन्दू समाज के लिए विचार-विमर्श और
सूत्रबद्ध तरीके से समाधान तैयार करे और उन व्यावहारिक और ठोस समाधानों को लागू करने
के लिए समुचित प्रयास किया जा सके. महासम्मेलन का लक्ष्य इस आन्दोलन को हिन्दू
एकता के लिए अगले स्तर तक ले जाना है. स्वामी विज्ञानानंद ने बताया कि हिंदुओं के
आध्यात्मिक और भौतिक विरासत के पुनर्निर्माण के लिए इस कार्य को एकाग्रता के साथ
करने की जरुरत है. सम्मलेन के प्रतिनिधि ख्याति और उपलब्धि प्राप्त, हिन्दू उत्थान
और पुनरुत्थान का काम करने के लिए प्रतिबद्ध लोग और अधिकतर कार्यकर्ता, विद्वान,
वैज्ञानिक, शिक्षाविद, विश्वविद्यालयों के संस्थापक, न्यासों के प्रबंधक, कुलपति व
उप-कुलपति, प्रमुख उद्योगपति, विभिन्न उद्योगों और व्यापार से व्यवसायी, बैंक
संचालक, अर्थशास्त्री, व्यापार संघ के नेता, सांसद, विधायक, युवा नेता, प्रमुख
पत्रकार, संपादक, मीडिया के प्रवर्तक और हिन्दू संगठनों के नेता है|
इस महासम्मलेन में 7
सम्मेलन, 45 सत्र, 200 प्रख्यात वक्ता और 1500 से अधिक प्रतिनिधि दुनियाभर से
होंगे. प्रमुख वक्ताओं में धर्मगुरु दलाई लामा, स्वामी दयानंद सरस्वती, राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी, सह
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले, केन्द्रीयसड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री
नितिन
गडकरी, मानव संसाधन विकास मंत्री
स्मृति ईरानी, वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, गुयाना
गणराज्य के वित्त मंत्री डॉ. अश्नी सिंह, प्रख्यात वैज्ञानिक ज़ी. माधवन नायर, डॉ.
विजय भाटकर, प्रमुख शिक्षाविद्
प्रोफ़ेसर एस.बी. मजुमदार, डॉ. जी. विश्वनाथ, प्रो. कपिल कपूर, फिल्म निर्माता प्रियदर्शन
और मेजर रवि, लोकप्रिय दक्षिणी फिल्म अभिनेत्री सुकन्या रमेश विभिन्न सत्रों में
उपस्थित रहेंगे.
विश्व हिन्दू महासम्मेलन के अंतर्गत 7
सम्मलेन आयोजित होंगे :
विश्व हिन्दू आर्थिक मंच :
(विषय: समृद्ध अर्थव्यवस्था, सफल समाज): इस मंच का मुख्य उद्देश्य हिन्दू
व्यापारियों, पेशेवरों और इच्छुक उद्यमियों को एक वैश्विक मंच प्रदान करना है जो विश्व
अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के साथ ही हिन्दू समाज को समृद्ध
बनाने में भी एक निर्णायक भूमिका अदा कर सके.
हिंदू शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित हिंदू
शैक्षिक सम्मेलन:
(विषय: सभ्यता के पुनरुद्धार के लिए शैक्षिक
संसाधनों के तंत्र को सुदृढ़ बनाना): संसार तेजी से एक ज्ञान आधारित समाज और
अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भले ही
सामाजिक और आर्थिक स्थिति जो हो लेकिन समाज के लोग उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती
शिक्षा प्राप्त करे.
हिंदू छात्र युवा नेटवर्क द्वारा आयोजित
हिन्दू युवा सम्मेलन
(विषय: एक साथ कल की ओर): हिन्दू युवा सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य
पुरे संसार में हिन्दू छात्रों और युवाओ को एक मंच प्रदान करना है जो हिन्दू समाज
द्वारा झेली जा रही समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करे.
हिन्दू मीडिया मंच द्वारा आयोजित हिन्दू
मीडिया सम्मलेन
(विषय: सत्य सर्वोच्च है): यह अनिवार्य है कि
हिन्दू अपने आप को स्थापित करे और वैश्विक मीडिया के सभी रूपों में उसकी जोरदार
उपस्थिति हो.
हिन्दू महिला मंच द्वारा आयोजित हिन्दू महिला
सम्मलेन
(विषय: हिन्दू पुनरुत्थान में महिलाओं की भूमिका बढ़ाना): महिलाएं
हिन्दू समाज का लगभग 50 प्रतिशत हैं और दुनियाभर में और कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों मे तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इस बदलते हुए संसार में, इस मंच का उद्देश्य
रणनीतियों के साथ आगे आना है कि कैसे हिन्दू महिलाएं हिन्दू पुनरुत्थान के मामले
में सबसे आगे हो सकती है.
हिन्दू संगठन, मंदिरों और संघो द्वारा आयोजित
हिन्दू संगठनात्मक सम्मलेन
(विषय: संघे शक्ति कलयुगे, संगठन में ही
शक्ति है): इस पहल के पीछे मुख्य विचार हिन्दू संगठनो, संघो और संस्थानों को एक
मंच प्रदान करना है कि सब अपनी व्यक्तिगत क्षमताओ से श्रद्धापूर्वक हिन्दू समाज की
सेवा के लिए कार्य करे.
विश्व हिन्दू लोकतान्त्रिक मंच द्वारा आयोजित
हिंदू राजनीतिक सम्मेलन
(विषय:सभी के लिए जिम्मेदार लोकतंत्र): राजनीति के साथ आधुनिक सामाजिक प्रवचन में एक निर्णायक भूमिका निभाना, यह
हिन्दू पुनरुत्थान की प्राथमिकता बननी चहिये. यह सम्मलेन विश्वभर से हिन्दू
सांसदों, विधायको, मंत्रियों, राजनयिकों और आकांक्षी राजनेता को एक
मंच प्रदान करता है जो हिन्दू समाज को सुदृढ़ करने के लिए अपने सम्बंधित देशों में
रणनीतियां बनायें.
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