अतुल मोहन सिंह
यंग जेनरेशन की अब यही
पंचलाइन है. उसके इस अरमान को पूरा कर रहे हैं आए दिन लॉन्च होने वाले नए गैजेट्स।
जब बात स्टाइल स्टेटमेंट की हो, तो जेनरेशन-जी यानी गैजेट
जेनरेशन के लिए ब्रांडेंड जींस या जूतों से कहीं ज्यादा खास अब टेबलेट, आइपैड, नोटबुक, थिंकपेड और फेबलेट बन गए हैं। पूरी तरह एंटरटेनमेंट का मकसद
पूरा करने वाला यह बाजार जेनरेशन-जी के दिमाग पर छाया हुआ है। युवाओं की पूरी लाइफस्टाइल
का अंदाज बदल रहा है। ख्वाबों को फौरन पूरा होते देखने की चाहत रखने वाली जेनरेशन
की इस नई दीवानगी की नब्ज टटोलना भी आसान नहीं, क्योंकि हर दूसरे हफ्ते
ट्रेंड बदल जाता है. जो आज नया है वह कुछ दिन बाद ही आउटडेटेड हो जाता है। अब
गैजेट की दुनिया मोबाइल तक ही नहीं सिमटी है। फोन अगर रोजमर्रा की जरूरत में शामिल
है. तो दूसरे छोर पर टेबलेट, आइपेड, नोटबुक, थिंकपेड, फेबलेट आदि भी हैं।
यंग जेनरेशन नई टेक्नालॉजी
को सबसे पहले अडॉप्ट करती है. भारत की तेजी में इसका रोल सबसे बड़ा है। जाहिर है, नई टेक्नालॉजी के दीवानों में युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा
होती है। हर हफ्ते बड़ी कंपनियां बाजार में टेबलेट, आइपेड, नोटबुक, थिंकपेड, फेबलेट आदि जैसे गैजेट्स उतारती रहती हैं. इनका सबसे बड़ा
दीवाना युवावर्ग है, सोते जागते युवा पीढ़ी इन्हीं से घिरी रहती
है। यह न केवल उनकी दिनचर्या में शामिल है बल्कि उनके मनोरंजन साधनों में भी शुमार
है। लैपटॉप की कीमत पर ही मिल
रहे टेबलेट यूजर्स को आकर्षित कर रहे हैं। सिटी स्टोर्स की मानें तो लोग अब लैपटॉप
की बजाय टैब लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसकी वजह इसमें दिए गए बेहतरीन फीचर्स
हैं। लैपटॉप को धीरे-धीरे टैब रिप्लेस कर रहा है। शहरों में फिलहाल आईपैड और टैब
की डिमांड ज्यादा है। इन दिनों ऐसे कई गैजेट्स
है, जो स्टूडेंट्स की स्टडी में बेहद मददगार
साबित हो रहे हैं, जिनमें टेबलेट, फेबलेट व आइपेड आदि हैं।
खासतौर से विद्यार्थियों के लिए टेबलेट काफी उपयोगी है। टेबलेट न केवल विद्यार्थियों
के लिए फायदेमंद हैं बल्कि यह शिक्षकों के लिए भी सुविधाजनक हैं। शिक्षक वीडियो, आडियो, वेब कंटेट, लाइव पोलिंग और अतिथि प्रवक्ताओं की वीडियो कांफ्रेंस को
कक्षा में पेश कर सकते हैं, जिससे विद्यार्थियों को समझाना काफी आसान हो
सकता है।
तकनीकी में नित हो रहे
परिवर्तनों ने गैजेट्स की दुनिया में धमाल मचाया हुआ है। बाजार में नई-नई खूबियों
से सुसज्जित आकर्षक गैजेट्स (मोबाइल फोन, लैपटॉप, फेबलेट, टेबलेट डेस्कटॉप, आईपेड, आईफोन, आईपोड) की बाढ़ सी आई हुई है, जो हर किसी को (खासकर
युवाओं को) अपनी ओर खींच रहे हैं। साथ ही गैजेट्स बनाने वाली कंपनियां भी अपने
उत्पाद में युवाओं की पसंद का खास ख्याल रखती हैं, ताकि उनका उत्पाद बाजार में
आते ही छा जाए। युवाओं में गैजेट्स के प्रति बढ़ते रुझान के चलते इस क्षेत्र से
जुड़ी देशी-विदेशी कंपनियां समय-समय पर नई खूबियों वाले गैजेट बाजार में उतारती
रहती हैं। नैनो टैक्नोलॉजी को पसंद
करने वाले यंगस्टर्स का रूझान अब लैपटॉप से शिफ्ट होकर टेबलेट की ओर बढ़ रहा है।
स्मार्ट फीचर्स और न्यू लुक में आने वाले यह टेबलेट लैपटॉप से सस्ते होने के कारण
इन दिनों यंगस्टर्स में काफी डिमांड में चल रहे हैं। कंप्यूटर और मोबाइल दोनों की
महत्ता के चलते यूजर्स ने इस वर्ष टेबलेट्स की ओर रुख किया है। अभी कुछ समय पहले
लॉन्च हुए एप्पल आईपेड-2 और सैमसंग गैलेक्सी टेब को यूजर्स द्वारा
खासतौर पर पसंद किया गया। इनके अलावा ब्लैकबेरी प्लेबुक, मोटोरोला जूम, एचटीसी, फ्लायर टेबलेट्स की भी मांग रही।
टेबलेट के साथ-साथ फेबलेट
की डिमांड भी बढ़ी है। यह टेबलेट और स्मार्टफोन का मिलता जुलता रूप है, जो टेबलेट और पीसी की जरूरतों को पूरा कर सकता है। यह
स्मार्टफोन की तरह काम करता है और टेबलेट की तरह इसमें डिजीटल टाइपिंग, एडिटिंग रिकार्डिंग, ईमेल आदि की सुविधा है। यही
कारण है कि इसकी डिमांड में भी इजाफा हो रहा है। आज का यूथ स्टाइल, गैजेट्स, स्टाइल स्टेटमेंट का दीवाना
है। लाइफ जीने का उनका फंडा एकदम क्लीयर है। मस्ती-धमाल, तेज बाइक राइडिंग, फ्रेंडस के साथ पार्टी और
लिव लाइफ किंग साइज जीने के तरीके के साथ-साथ युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी है
गैजेट्स। उनकी अंगुलियां दिनभर मोबाइल और टेबलेट्स पर चलती रहती हैं। बाजार में जो
भी हाई फीचर वाले गैजेट्स आते हैं, उनकी जानकारी सबसे पहले
युवाओं को होती है और उसे खरीदने के लिए युवा अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ते।
आईपैड, लैपटॉप और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के दीवाने
यूथ इससे एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नहीं कर पाते।
जितनी अधिक दीवानगी से युवा
अपने पसंदीदा गैजेट का चुनाव करते हैं, उससे कहीं अधिक तन्मयता से
वे उसका इस्तेमाल भी करते हैं। देखने में आया है कि युवा अपने स्मार्टफोन, आइपैड, टेबलेट और फेबलेट का प्रयोग
दोस्तों को एस.एम.एस. भेजने, सोशल नेटवर्किंग साइट्स से
जुड़ने, म्यूजिक सुनने,
वीडियो
देखने, समाचार पत्र तथा मैगजीन पढ़ने, स्टडी करने आदि के लिए करते हैं। टेक्नालॉजी की तरक्की की बदौलत युवाओं को कई तरह के नए
गैजेट्स मिल रहे हैं। फेबलेट, टेबलेट व आईपैड जैसे
गैजेट्स के माध्यम से ई-लर्निंग, ई-बुक्स, जनरल्स, आनलाइन मैटीरियल, क्विज आदि का लाभ कभी भी कहीं भी उठाया जा सकता है।
पोर्टेबल डिवाइस होने के कारण क्लॉस के बाहर भी लर्निंग में इसकी मदद ली जा सकती
है।
ज्यादातार यंग प्रोफेशनल्स
में हैंडी एडवांस एंड्रॉयड टेबलेट की डिमांड है। एडवांस वर्जन से वर्किंग फास्ट
होने के साथ ही फीचर्स और एप्लीकेशंस भी एडवांस हुई हैं। जो टेबलेट सबसे ज्यादा
पसंद आ रहे हैं उनमें 5 से 15 हजार के टेबलेट की रेंज
शामिल है। इन रेंज में मल्टीनेशनल कंपनी से लेकर इंडियन कंपनी तक के टेबलेट का
कलेक्शन मौजूद है।
लेटेस्ट टेक्नालॉजी ने
स्टूडेंट्स की पढ़ाई को जहां ईजी बना दिया है, वहीं यंगस्टर्स के लिए यह
मनोरंजन का परफेक्ट आइडिया साबित हो रहा है। आजकल टेबलेट का क्रेज काफी देखने को
मिल रहा है। इसकी सहायता से स्टूडेंट स्टडी प्लान बना सकते हैं। सामुहिक
गतिविधियों जैसे ग्रुप डिस्कशन और प्रेजेंटेशन को रिकॉर्ड कर सकते हैं। देखा जाए
तो ये गैजेट्स विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है। यंग इंडिया ने ही भारत को
आज मोबाइल का सबसे तेज उभरता बाजार बना दिया है और इस तेजी में चीन भी उसके पीछे
है। भारत में 21 करोड़ से ज्यादा फोन कनेक्शन हैं जो 2010 तक 50 करोड़ हो जाएंगे। यंग जेनरेशन नई टेक्नॉलजी
को सबसे पहले अडॉप्ट करती है और भारत की तेजी में इसका रोल सबसे बड़ा है। गैजेट की
दुनिया मोबाइल तक ही नहीं सिमटी है। फोन अगर रोजमर्रा की जरूरत है तो दूसरे छोर पर
गेमिंग सेगमेंट है। पूरी तरह एंटरटेनमेंट का मकसद पूरा करने वाला यह बाजार भी
जेनरेशन-जी के दिमाग पर छाने लगा है, एक्सबॉक्स, प्लेस्टेशन और निन्टेंडो जैसे नाम उसके लिए अनजान नहीं हैं।
रिसर्च फर्म आईसप्लाई की स्टडी के मुताबिक 2006
में
भारत का गेमिंग मार्केट 1.33 करोड़ डॉलर का था जो 2010 तक 12.54 करोड़ डॉलर का हो जाएगा। एक
रुपये का सिक्का डालकर विडियो गेम खेलने से लेकर घर में कंसोल लगाकर हाई टेक
गेमिंग तक पहुंचने में इंडिया के यूथ ने लंबा सफर तय किया है। भारत में यह
इंडस्ट्री तेजी से डिवेलप हो रही है और इसी वजह से उनकी कंपनी ने अपने लेटेस्ट
प्रॉडक्ट एक्सबॉक्स-360 पर यहां भारी निवेश किया है।
पिछले 12 महीने में भारत की गेमिंग इंडस्ट्री ने अपने कदम जमाना सीखा
है और अब इस ओर लोगों का रुझान इतना बढ़ा है कि जपाक और इंडियाटाइम्स जैसी
वेबसाइट्स गेमिंग पर खासा जोर दे रही हैं। वर्ल्ड कप के दौरान माइक्रोसॉफ्ट ने
भारत में पहली बार युवराज सिंह को थीम बनाते हुए अपना गेम पेश किया, जो वर्ल्ड कप में भारत की हार के बाद खासा पॉपुलर हुआ। इंडिया
स्पेसिफिक गेम्स का चलन बढ़ेगा और वह दिन दूर नहीं जब बॉलिवुड गेमिंग पर आधारित
फिल्म भी बनाएगा। उनका कहना है कि गेमिंग कंसोल पर अब भी 54 पर्सेंट टैरिफ है जिस वजह से ये थोड़े महंगे पड़ते हैं, सरकार अगर इसमें भी मोबाइल सेगमेंट की तरह कटौती करे तो
गेमिंग का जादू सिर चढ़कर बोलेगा। आईपॉड का क्रेज किसी से छिपा नहीं है और अब भारत
भी बेसब्री से एप्पल के लेटेस्ट प्रॉडक्ट आईफोन का इंतजार कर रहा है। आईपॉड वाले
इस फोन में कैमरा समेत मिनी कंप्यूटर जैसे तमाम फीचर हैं। वैसे इस बात की पूरी
गारंटी है कि आईफोन अमेरिका में चले या नहीं, उसके भारत में हिट होने के
चांस ज्यादा है। यूनिवर्सल मैकैन के ग्लोबल सर्वे के मुताबिक एक ही मशीन में सबकुछ
हासिल करने की चाहत अमेरिका या जापान से भी ज्यादा भारत में है। अमेरिका में 31 पर्सेंट, जापान में 27 पर्सेंट लोगों ने एक मशीन में ज्यादा फीचर को अपनी पसंद
बताया जबकि मेक्सिको के लिए यह तादाद 79 और भारत मे 70 पर्सेंट थी।
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