Saturday 22 June 2013

क्षत्रियों से भाजपा को मिल सकती है संजीवनी

क्षत्रियों से भाजपा को मिल सकती है संजीवनी
ठाकुर लॉबी दे सकती है मुलायम को झटका!


अतुल मोहन सिंह 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासी ‘पिच’ पर राजनीति पल-पल करवट बदल रही है। सियासी उठापटक तथा सह और मात के इस खेल में इस बार बाजी भारतीय जनता पार्टी के हाथों में लगने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके पीछे उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरणों और समाजवादी पार्टी से लगातार खुद को उपेक्षित महसूस करने के चलते क्षत्रिय लॉबी एक बार फिर से गोलबंद होने की कोशिश कर रही है। इस बार समाजवादी पार्टी के क्षत्रिय नेता कुंडा से विधायक और प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री रह चुके रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के नेतृत्व में मुलायम को जोर का झटका धीरे से दे सकती है।
सपा सरकार द्वारा मुसलमानों को जरूरत से ज्यादा दी जा रही अहमियत के बीच अंदरखाने अब यह भी चर्चा जोर पकड़ रही है कि विधानसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह के साथ खड़ी दिखने वाली उत्तर प्रदेश की क्षत्रिय लॉबी आम चुनाव से पहले मुलायम से किनारा कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन पकड़ सकती है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश की क्षत्रिय लॉबी को लगता है कि सपा सरकार में मुसलमानों के आगे अब उनकी पूछ नहीं रह गई है। कुंडा में हुए जियाउल हत्याकांड के बाद क्षत्रिय नेताओं के सरताज माने जाने वाले पूर्व मंत्री राजा भैया के खिलाफ जिस तरह से सूबे के एक कद्दावर मुस्लिम मंत्री ने क्षत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोला था और उसके बाद अखिलेश सरकार ने बैकफुट पर आते हुए राजा भैया पर दबाव बनाकर जिस तरह से इस्तीफा दिलवाया, उससे यह लॉबी बेहद आहत है।
राजा भैया लगातार अपनी बेकसूरी का हवाला देते रहे लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण नीति के आगे सपा सरकार ने राजा भैया की एक न सुनी। सीबीआई जांच में भी हालांकि अब यह बात धीरे-धीरे निकल कर सामने आ रही है कि राजा भैया निर्दोष हैं।
मुलायम और अखिलेश के इस रवैये से खुन्नस खाई क्षत्रिय लॉबी आम चुनाव से पहले मुलायम को तगड़ा झटका दे सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, सूबे के करीब आधा दर्जन कद्दावर क्षत्रिय नेता, चाहे वह समाजवादी पार्टी से जुड़े हों या अन्य पार्टियों से, राजा भैया के नेतृत्व में अलग ठौर की तलाश में जुटे हुए हैं और भाजपा में भी परिस्थतियां उनके अनुकूल बताई जा रही हैं।
भाजपा के सूत्र बताते हैं कि राजनाथ सिंह के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही करीब आधा दर्जन भर क्षत्रिय नेताओं की राजा भैया के नेतृत्व में भाजपा शामिल होने की जमीन तैयार हो रही है और सबकुछ ठीकठाक रहा तो आम चुनाव से पहले उप्र में बड़ा बदलाव हो सकता है।
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी यह सोच रखता है कि सूबे में सीटों के संकट से जूझ रही पार्टी के लिए बड़े रसूख वाले ये नेता अहम साबित हो सकते हैं।
राजा भैया के नेतृत्व में जिन क्षत्रिय नेताओं की अलग होने की अंदरखाने चर्चा है, उसमें संजय सिंह, ब्रजभूषण शरण सिंह, वर्तमान सपा सरकार में मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, धनंजय सिंह, चुलबुल सिंह के भतीजे सुशील सिंह तथा गोंडा से सांसदी का टिकट काटने से नाराज राजा किर्तिवर्धन सिंह के नाम समाने आ रहे हैं। इनमें से कई नेताओं का कभी न कभी भाजपा से नाता रहा है।
रायबरेली से जुड़े एक क्षत्रिय ब्लॉक प्रमुख ने भी कहा कि अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि इनमें से कई लोग आम चुनाव से पहले भाजपा का दामन पकड़ सकते हैं।
वर्तमान समाजवादी पार्टी सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाए एक सपा नेता ने साफतौर पर कहा कि आजम खां की वजह से पार्टी को नुकसान हो रहा है। आजम का यही रुख रहा तो आने वाले समय में क्षत्रियों का सपा से मोहभंग हो सकता है। समय रहते मुलायम को आजम पर नकेल कसनी ही होगी।
सपा सरकार के इस मंत्री के बयान के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अखिलेश सरकार मुसलमानों के आगे किस तरह घुटने टेक रही है। इस नेता ने हालांकि यह भी कहा कि इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती है कि मोदी के उप्र में आने के बाद मुसलमान उसी तरह सपा के साथ खड़े हो सकते हैं, जिस तरह वे विधानसभा चुनाव के दौरान खड़े हुए थे। मोदी के आने के बाद मुसलमानों का ध्रुवीकरण यदि कांग्रेस की तरफ गया और क्षत्रियों का नाता सपा से टूटा तो ‘नेताजी’ के सपने पर पूरी तरह से पानी फिर सकता है।
सूबे की क्षत्रिय राजनीति में अंदरखाने एक बड़े बदलाव की आहट सुनाई दे रही है।
हाल ही में राज्यमंत्री का दर्जा पाए इस नेता ने कहा कि आजम की अदावत न केवल क्षत्रियों से है, बल्कि अपनी बिरादरी के लोगों से भी है। इमाम बुखारी मामले में भी यह बात सामने आ चुकी है। आजम अपने आपको मुसलमानों का बड़ा नेता मानते हैं, लेकिन उनके रहने और न रहने से कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है।
इस बीच, भाजपा के नेता खुलेतौर पर तो इस बारे में कुछ बोलने से कतरा रहे हैं लेकिन इतना जरूर संकेत दे रहे हैं कि इनमें से कई नेताओं का भाजपा से पहले से ही रिश्ता रहा है। इनमें से कई लोगों ने मोदी से संपर्क भी साधा है। ये लोग यदि भाजपा के साथ जुड़ते हैं तो इसमें कोई बड़े आश्चर्य वाली बात नहीं होगी।
भाजपा सूत्रों की मानें तो क्षत्रियों का मुलायम के प्रति इस बेरुखी का लाभ पार्टी उठा सकती है। ये सभी बड़े नाम हैं और ये लोग यदि भाजपा से जुड़ते हैं तो सपा के लिए करारा झटका ही होगा।

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