Wednesday 5 March 2014

कौन नेता ‘नपुंसक’ नहीं ?


डॉ वेद प्रताप वैदिक 

सलमान खुर्शीद की बात को अगर हम सच मान लें तो उस कसौटी पर तो लगभग हर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नपुंसक सिद्ध हो जाएगा। इसमें शक नहीं कि गुजरात और नरेंद्र मोदी के बारे में जो तथ्य खुर्शीद ने पेश किए, याने वे दंगे रोक नहीं पाए, यह सच है लेकिन उन्होंने जो राय जाहिर की है, वह बड़ी खतरनाक है। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि 2002 में गुजरात में जो हत्याएं हुई हैं, वे नरेंद्र मोदी ने करवाई हैं। लेकिन मैं कहता हूं कि मोदी उन्हें रोक नहीं पाया। यही उसकी नपुंसकता है।

दंगों को नहीं रोक पाना नपुंसकता है, ऐसा कहना कांग्रेस पर कितना भारी पड़ेगा, इसका अनुमान शायद खुर्शीद को बिल्कुल भी नहीं है। यह नरेंद्र मोदी पर जितना बड़ा हमला है, उससे बड़ा हमला है, उनकी नेता सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी पर! 1984 में राजीव ही तो प्रधानमंत्री थे। उन्होंने ही तो कहा था कि जब कोई बरगद गिरता है तो जमीन हिलती है। उनके कहने पर जमीन हिली और हजारों बेकसूर सिख हताहत हुए। वे रक्तपात रोक नहीं पाए बल्कि कहने वाले कहते हैं कि उनके बयान ने कांग्रेसी दादा लोग के दिलों में सिखों के खून की प्यास जगा दी। गुजरात में दोनों तरफ के लोग मरे लेकिन दिल्ली में एकतरफा खून बहा। ऐसे में यदि मोदी नपुंसक तो बोलिए सलमान भाई, राजीव कौन? आप उन्हें क्या कहेंगे? क्या उनके नाम के पहले महा… लगाना पसंद करेंगे?

राजीव की बात जाने दीजिए। मोदी की तरह वे भी दंगों के समय अनुभवरहित थे लेकिन जवाहरलाल नेहरु तो गजब के नेता थे। वे क्या 1947 के दंगे रोक पाए? क्या इंदिरा गांधी दंगे रोक पाईं? क्या नरसिंहराव रोक पाए? कौनसा मुख्यमंत्री है, जिसके राज में दंगे नहीं हुए? आजादी के बाद सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तो कांग्रेस के ही हुए हैं। तो हम कांग्रेस को किन लोगों की फौज कहें?

यह सलमान खुर्शीद ने अच्छा किया कि अपने शब्द ‘नपुंसक’ की शुद्ध राजनीतिक व्याख्या की, वरना वे बड़ी मुसीबत में फंस जाते। मोदी मुकदमा चला देते तो उनका अपना पौरुष चुनौती पर चढ़ जाता। अपने कथन से उन्होंने मोदी को ऐसा जबर्दस्त प्रमाण-पत्र दे दिया है, जो कांग्रेस की मलिका के कथन को झुठला देता है। सोनिया ने पिछले चुनाव में मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कह दिया था। अब सलमान ने साफ कह दिया है कि वे मोदी पर हत्याओं का कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं। सिर्फ उन्हें रोक नहीं पाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मोदी को सलमान के प्रमाण-पत्र की जरुरत नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही प्रमाणित कर दिया है। दंगों को रोक पाना तो बड़ा जटिल मसला है लेकिन चुनाव के मौसम में यदि नेता लोग अपनी कुलबुलाती हुई जुबान को रोक पाएं तो यह गनीमत होगी।

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