Friday 7 March 2014

परीक्षा का डर भगाएंगी होम्योपैथी की मीठी गोलियां

परीक्षा का डर भगाएंगी होम्योपैथी की मीठी गोलियां

-डा. अनुरुद्ध वर्मा 

हर साल की तरह इस बार फिर आ गया परीक्षा का मौसम। हर तरफ परीक्षा का ही शोर है। अभिभावक परेशान हैं कि उनके बच्चों को कैसे अच्छे अंक मिले और छात्र परेशान हैं कि वहकैसे अच्छे अंक लाकर अपने माता पिता के लाडले बने रहें। परीक्षा का मौसम कभी-कभी छात्रों के लिए अनेक परेशानियां लेकर आता है। परीक्षा के डर से होने वाली परेशानियों को चिकित्सीय भाषा में एक्ज़ाम फीवर या फोबिया कहते हैं। इससे बच्चों में अनेक परेशानियां उत्पन्न हो सकती  हैं जैसे, बच्चों का मन पढ़ाई के दौरान एकाग्र नही हो पाता है।

परीक्षा कक्ष काल कोठरी जैसा लगता है उसमें प्रवेश से पहले अजीब सी बेचैनी, घबराहट एवं सिहरन होने लगती है, बार बार पेशाब व दस्त की शिकायत हो जाती है, याद किया हुआ भूल जाता है, बार बार आत्महत्या का विचार आता है, नींद उड़ जाती है, फेल हो जाने का भय सताता है। परीक्षा के समय पसीना आता है। छात्रों की इन तमाम परेशानियों को दूर करने की ताकत होम्योपैथी की मीठी-मीठी गोलियो में है।

यह कहना है केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के सदस्य एवं होम्योपैथिक चिकित्सक डा. अनुरुद्ध वर्मा का। डा. वर्मा के अनुसार, एक्ज़ाम फीवर एक मानसिक परेशानी है इससे लगभग 30 से 40 प्रतिशत छात्र प्रभावित होते हैं। परीक्षा में अच्छे अंकों से पास होने का दबाव इसकी सबसे बड़ी वजह है, ज्यादातर यह दबाव अभिभावकों द्वारा बनाया जाता है जिसके कारण बच्चे परीक्षा के दौरान एक कमरे में कैद होकर रह जाते हैं । 
परीक्षा के दौरान खाने-पीने का रुटीन बदल जाता है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति ठीक नही है, परीक्षा के दौरान बच्चों को कमरे में कैद होने के बजाए, पढ़ाई के साथ-साथ थोड़ा घूमना, फिरना तथा मनोरंजन भी जरुरी है। डा. वर्मा का कहना है कि अभिभावक बच्चों के धैर्य को बनाए रखने में उनकी सहायता करें। उनका कहना है कि छात्रों को किसी भी परीक्षा से डरने की जरुरत नहीं है क्यांेकि कई बार उचित सलाह के बाद भी कई छात्र इन परेशानियों से नही बच पाते हैं।

उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में परीक्षा के दौरान होने वाली परेशानियो से निजात दिलाने की अनेक कारगर औषधियां उपलब्ध हैं सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनका शरीर पर कोई कुप्रभाव भी नहीं पड़ता है। डा. वर्मा ने बताया कि यदि परीक्षा में जाते समय डर लगे तो लाइकोपोडियम एवं साइलीसिया का प्रयोग किया जा सकता है। यदि परीक्षा के समय सिरदर्द, बार-बार पेशाब लगने, दस्त एवं घबराहट की शिकायत हो तो जेल्सीमियम एवं अर्जेन्ट्रमनाइट्रिकम का प्रयोग लाभदायक हो सकता है।

उन्होंने बताया कि परीक्षा की तारीख पास आने पर ज्यादातर बच्चों मंे अनिद्रा की शिकायत हो जाती है इन बच्चों के लिए नक्सवोमिका फायदेमंद होती है। परीक्षा की पूरी तैयारी के बाद भी लगे कि कुछ याद नही है तो एनाकाडिंयम एवं कालीफांस का प्रयोग किया जा सकता है। उन्हांेने कहा कि कुछ छात्र परीक्षा के दौरान ज्यादा तैयारी के लिए नींद न आने वाली दवाइयां ले लेते हैं जो स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नही है। डा. वर्मा ने कहा कि सिर पर सवार परीक्षा ने छात्रों के लिए होली का रंग फीका कर दिया है, उन्होंने सलाह दी कि होली के दौरान छात्रों को रंग खेलने से परहेज करना चाहिए क्यांकि यदि रंग आॅख में पड़ गया तो आॅख में दर्द एवं जलन हो सकती है जो छात्र की परीक्षा में व्यवधान उत्पन्न कर सकती है।

उन्होंने छात्रो को होली में तली-भूनी चीजें न खाने की सलाह दी है क्यांेकि इससे आलस्य आता है तथा पेट खराब होने का डर बना रहता है। डा. वर्मा ने अभिभावकांे को अपने बच्चों पर ज्यादा दबाव न बनाने की सलाह दी है क्यांेकि इससे बच्चे तनाव में  आ जाते हैं जिससे उन्हें परीक्षा के दौरान अनेक परेशानियो का सामना करना पड़ता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि परीक्षा से डरने की जरुरत नहीं है पूरी मेहनत और लगन के साथ खेल भावना से परीक्षा देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि होम्योपैथी की दवाईयां आप के दिमाग से परीक्षा का भूत निकाल देगी तथा परीक्षा के सफर में आपका पूरा साथ निभाकर आपको सफलता दिलाने में  आपका सहयोग करेंगी। परन्तु ध्यान रहे कि होम्यापैथिक दवाईयां केवल प्रशिक्षित चिकित्सकों की सलाह से ही लेनी चाहिए। साथ ही बोर्ड परीक्षार्थियों की सहायता के लिए बनाये गये कंट्रोल रुम के नम्बर 9415075558 पर भी निःशुल्क सलाह ली जा सकती है।

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