Tuesday 18 February 2014

स्नेहा को इंसाफ की दरकार


स्नेहा की फाइल फोटो
 -आशीष सागर दीक्षित

बांदा। बुंदेलखण्ड के जिला बांदा की नरैनी तहसील के गांव करतल की कक्षा 11वीं की छात्रा स्नेहा ने बीती 13 फरवरी को यौन हिंसा, छेड़छाड़ और धमकियों से तंग आकर आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर दिया। करतल जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। करतल गांव के निवासी दिनेश गुप्ता की बेटी स्नेहा को एक स्थानीय युवक शकील पिछले काफी समय से परेशान कर रहा था और उसकी बात न मानने पर जान से मारने की धमकियां दे रहा था। शकील की हरकतों से स्नेहा  का घर से बाहर निकलना मुहाल हो गया था। यौन हिंसा दहशत, छेड़छाड़ और धमकियों के चलते स्नेहा अवसाद का शिकार हो गयी थी, और इन्हीं हालातों से आजिज आकर स्नेहा ने जीने की बजाय मौत का रास्ता चुन लिया।
घटना के मुख्या आरोपी करतल के ही निवासी शकील अहमद पुत्र तुफैल अहमद पर पुलिस ने तीन दिवस बाद मृतक के समर्थन में सड़क पर उतरी सैंकड़ों प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं के दबाव में आईपीसी की मामूली धारा 306 में मुकदमा दर्ज किया है। ये हालात तब है जब मृतक स्नेहा ने अपने सुसाइड नोट में आरोपी शकील अहमद पर गंभीर आरोप लगाये हैं जिनमें आत्महत्या के लिए उकसाना, छेड़खनी, यौन हिंसा और भाई सहित खुद उसको जान से मारने की धमकी तक सुसाइड नोट में लिखी गई हैं। स्थानीय पुलिस तीन दिन तक गुजरात में खाक छनती पुलिस ने दबाव में आरोपी शकील को हलकी धाराओं में बंद कर आंखों में धूल झोंकने का काम किया है। सोमवार को जिला बांदा का गांव करतल मुज्फ्फनरनगर की तस्वीर पेश कर रहा था कि क्या है समाजवाद ? पुलिस का कानून और न्याय की नपुंसकता महिलाओ के लिए ?

क्षेत्र के दो इंटर कालेज शंकर पार्वती एवं राजकीय बालिका इंटर कालेज की सैकड़ों छात्राओं ने स्नेहा को इंसाफ दिलाने के लिए जुलूस निकाला। प्रदर्शनकारी छात्राओं ने हाथ में तख्ती, बैनर और पोस्टर ले रखे थे। छात्राएं स्नेहा को इंसाफ और शकील को फांसी दिए जाने की मांगे कर रही थीं। सैंकड़ों छात्रओं के प्रदर्शन और धरने से घबराई पुलिस और पीएसी ने बेरहमी से प्रदर्शनकारी छात्राओं पर लाठिया बरसाई। पुलिस की कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी  छात्राओं को गंभीर चोटें आई। प्रदर्शन में शामिल कई लड़के  बुरी तहर घायल हुए। लेकिन हैरानी की बात यह रही है कि तिल को ताड़ बना देना वाला इलाकाई मीडिया जोकर की तरह खामोशी से पूरा तमाशा देखता रहा ? स्नेहा को इंसाफ दिलाने के लिए हुए इस  विशाल प्रदर्शन की खबर किसी न्यूज चैनल ने  नहीं दिखाई। उलेखनीय ये भी है कि आरोपी शकील स्नेहा को पिछले तीन साल से परेशान कर रहा था। स्कूल से आते जाते छेड़खानी करना, धमकी देना आम बात थी। स्नेहा के पिता के शिकायत करने पर उसने उन्हें भी देख लेने की धमकी दी थी ? 

13 फरवरी को घटना के दिन पुलिस थाना नरैनी के तत्कालीन चौकी इंचार्ज अमर सिंह को घटना के अगले दिन 14 फरवरी को प्रमोशन देकर कालिंजर का एसओ बना दिया गया है। अभी कुछ दिन पहले कालिंजर गांव निवासी मुस्लिम युवक जो सीआरपीएफ में कार्यरत था, के मारे जाने पर बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी, समाजवादी पार्टी के शमीम बन्द्वी व अन्य राजनीतिक दलों ने पहुंचकर पीडि़त परिवार को 5 लाख रुपये की मदद दिलवाई थी। लेकिन पिछले तीन चार दिनों से करतल गांव इस घटना के बाद से उबल रहा है लेकिन किसी भी दल के नेता ने यहां आने की जहमत नहीं उठाई है। घटना के दिवस कल ही सपा से सांसद आर के पटेल नरैनी तक गए लेकिन ये दंगे की बात सुनकर वापस भाग लिए ?

लोकतंत्र के प्रहरी नेता इस हिंसा पर शांत है ? कौन दिलाएगा मासूम स्नेहा को न्याय? कानून या सरकार ? स्नेहा का परिवार भारी सदमे में है। उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। पुलिस, प्रशासन आरोपी के पक्ष में खड़ा दिख रहा है। धिक्कार है समाजवादी सरकार के समाजवाद, अन्य दलों के नेताओ पर जो दंभ भरना जानते है नैतिकता का? कल आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधि मंडल मौके पर था तभी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों जिनमें अधिकतर छात्राएं थी पर पुलिस का कहर बरपा।


-आशीष सागर दीक्षित, पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

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