Friday 21 February 2014

आर्थिक आधार पर आरक्षण क्यों नहीं ?


वसीम अकरम त्यागी 
कुछ लोग तर्क देते हैं कि गरीबी जाती देख कर नहीं आती फिर आरक्षण जाती देखकर क्यों जाता है ? वे अपनी बात को बजाय यूं कहने की वे आरक्षण के विरोधी हैं इसलिये उसे घुमा फिरा कर कहते हैं। होना तो यह चाहिये था कि जब आरक्षण का लाभ उठा रहे किसी परिवार का सदस्य सरकारी नौकरी पा गया तो उसके बाद से उस परिवार से आरक्षण की सहूलियत वापस ले लेनी चाहिये थी क्योंकि अब वह उस धारा में आगया है जिसके लिये आरक्षण का प्रावधान किया गया था। बहरहाल बात आर्थिक आधार के आरक्षण की हो रही थी जिसे कई कारणों से स्वीकार नहीं किया जा सकता। जब आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की बात आयेगी तो उसके लिये जरूरत होगी आय प्रमाण पत्र की जिसे येन केन प्राकरेण तथाकथित ऊंची जाती वाले सबसे पहले फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाकर उन गरीबों का हक छीन लेंगे जिनके लिये आरक्षण का प्रावधान किया गया है फिर पूंजीवाद का ऐसा भयवाह चेहरा सामने आयेगा देश कई सौ साल पहले के वर्णवादी व्यवस्था में पहुंच जायेगा। आप अपने दिमाग पर जोर डालकर सोचें और निर्णय लें कि क्या ऐसा होगा या नहीं ? जहां पानी का मटका छूने भर से ही दलित का हाथ काट दिया जाता हो फिर उसे कथित ऊंची जात वाले स्वर्ण कैसे उस लाभ को उठाने देंगे जो वह आज अपनी जाती के आधार पर उठा रहा है। दूसरी बात आती है जाती व्यवस्था समाप्त करने की उसमें यह भी देखा जाना, जांचा परखा जाना जरूरी है कि जब जब इस तरह की आवाजें उठाई जाती हैं उसमें उच्च वर्ग या तो होता ही नहीं है और अगर होता भी है तो कितना ? अगर ऊंची जाती वाले अंतर्जातीय विवाह व्यवस्था को अपना लें तो आरक्षण का खेल ही समाप्त हो जायेगा। फिर न किसी से यह कहने की जरूरत कि आरक्षण जाती के आधार पर हो या आर्थिक आधार पर। अव्वल तो यह सारा खेल ही इसलिये है कि कमसे समाज के अति पिछड़े वर्ग को ऊपर उठाया जा सके। मगर क्या उच्च जाती वाले ब्राहम्ण, बनिया, ठाकुर, एंव शेख, सैय्यद, मुगल, पठान, ब्राह्मण मुस्लिम, ठाकुर मुस्लिम, यह गंवारा करेंगे कि वे अपने बच्चों का ब्याह आदीवासी दलित समुदाय क्रमश हिंदु या मुस्लिम में करें ? अगर इस सवाल का जवाब हां में हैं तो फिर आरक्षण को खत्म कर देना चाहिये और अगर इस सवाल का उत्तर न है तो आरक्षण को और बढ़ाना होगा और तब तक जारी रखना होगा जब तक अंतर्जातीय विवाह व्यवस्था नहीं हो जाती। यही एक मात्र तरीका है आरक्षण को खत्म करने का।


No comments: