Saturday 22 February 2014

कानूनों के क्रियान्वयन की उपेक्षा से बढ़ा बाल अधिकारों का हनन

बाल अधिकार संरक्षण में सिविल सोसाइटी की प्रभावी भूमिकाः सदाकांत
सिविल सोसाइटी और सरकार मिलकर करें बाल अधिकारों की सुरक्षाः रमेष मिश्रा
चाइल्ड प्रोटेक्षन इज एवरीवन्स कन्सर्न-लेटस ज्वाइन हैंडस कार्यषाला का आयोजन
यूपीसीएसए के बैनर तले हुई कार्यशाला 


कार्यशाला में समूह चर्चा के दौरान एक दूसरे से वार्ता करते विशेषज्ञ 

अतुल मोहन सिंह
लखनऊ। प्रदेश में बाल अधिकार के संरक्षण की दिशा में कॉफी प्रयास हो रहे हैं लेकिन अभी इस क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत है। बाल अधिकार संरक्षण में सरकारी मशीनरी और सिविल सोसाइटी मिलकर प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं। बाल अधिकारो से जुड़े मुददे देश-प्रदेश के सामने बड़ी चुनौती हैं। ये विचार श्री सदाकांत, प्रमुख सचिव, बाल विकास, उत्तर प्रदेश शासन ने यूपी सिविल सोसायटी एलायंस फार चाइल्ड प्रोटेक्शन के बैनर तले आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान व्यक्त किये।
राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्थित होटल दयाल पैराडाइज में यूपीसीएसए के बैनर तले चाइल्ड प्रोटेक्शन इज एवरीवन्स कन्सर्न-लेटस ज्वाइन हैंडस राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुये श्री सदाकांत ने कहा मातृ एवं शिशु कल्याण के क्षेत्र में चुनौतियां है असल में सिस्टम में संवेदनशीलता का अभाव हैं इसी के चलते इसी के चलते बाल अधिकार से जुड़े मुददे और समस्याये एक समस्या के तौर पर नहीं देखे जाते हैं। वहीं सरकारी मशीनरी बाल अधिकार से जुड़े कानूनों नियमों और जमीनी समस्याओं से पूरी तरह परिचित नहीं हैं इसी के चलते समस्यायें आर चुनौतियां बढ़ी हुई हैं।

बाल अधिकार संरक्षण के दिशा में कंेद्र सरकार के ओर से चलाई जा रही समेकित बाल संरक्षण योजना (आई सी पी एस) महत्वाकांक्षी योजना है। प्रदेश में आई सी पी एस के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। योजना के बारे में सरकारी मशीनरी और सिविल सोसाइटी में जागरूकता में कमी है। प्रदेश में आई सी पी एस के तहत नियुक्तियों की प्रक्रिया भी जारी है जिसके तहत पदों की स्वीकृति केंद्र सरकार से प्राप्त हो चुकी है जिसके अंर्तगत जल्द ही खाली पदों को भरा जायेगा। जिससे आई सी पी एस के कार्यांे में तेजी लाई जा सके। प्रदेश और देश में बाल श्रम बाल विवाह और बच्चों से जुडी़ तमाम समस्याये विद्यमान है। जिनके उन्मूलन के लिये जागरूकता की जरूरत है। मीडिया को सिविल सोसाइटी के साथ एक मंच पर आकर जागरूकता फैलाने का काम करना होगा। क्योकि बाल अधिकार संरक्षण के मुददे पर मीडिया व सिविल सोसाइटी की भूमिका महत्वपूर्ण है। प्रदेश में बच्चों के बारे काफी चिंतन हो रहा है, इस दिशा मंे काफी कार्य करने की गुजांइश है। प्रदेश में केंद्रीय योजनाओं की स्थिति ठीक नहीं है। सिविल सोसाइटी एलांयस की ओर से जो भी सुझाव होंगे सरकार उसपर गंभीरता पूर्वक विचार करेगी।
समाज कल्याण विभाग के निदेशक रमेश मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के 67 वर्षों मे बाल अधिकारों की दिशा में काफी कार्य किया गया लेकिन उसके वांछित परिणाम नहीं मिल पाये हैं। बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये सिविल सोसाइटी और सरकार दोनों केा मिलकर कार्य करने की जरूरत है जिसमें स्थानीय लोगों, मीडिया, शिक्षा विदों, छात्रों एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने की जरूरत है। इस क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं को जमीनी स्तर पर और सक्रिय होने की जरूरत है।
युनीसेफ के प्रतिनिधि अमित मेहरोत्रा ने कहा कि, प्रदेश में आईसीपीएस के तहत काफी काम करने की जरूरत है। जो काम हो रहे हैं वो पर्याप्त नहीं है क्योंकि गैर सरकारी संगठन अलग अलग दिशा में प्रयास कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में सिविल सोसाइटी बड़ी भूमिका निभा रही है। महिला एवं बाल कल्याण विभाग से जुड़े अन्य विभागों में तालमेल का अभाव दिखायी देता है। बाल अधिकार व कल्याण से जुड़े विभिन्न विभागों में तालमेल की जरूरत है वहीं सिविल सोसाइटी में मीडिया, शिक्षाविदों, छात्रों को शामिल करने और कम लागत के कार्यक्रमों को जोड़ने की जरूरत है।
युनिसेफ की ओर से नुपूर पाण्डे के अनुसार, आईसीपीएस, महत्वाकांक्षी और आधारभूत योजना है। बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना समाज और सरकार की जिम्मेदारी है। सोसाइटी और संगठनों में जागरूकता की कमी बड़ा मुद्दा है।
वर्कशाप को संबोधित करते हुये प्लान इंडिया के प्रतिनिधि अमित चौधरी ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण के मुददे पर एक मंच पर आने की जरूरत है। इसी दिशा में यूपीसीएसए का गठन एक अच्छी शुरूआत है। बाल अधिकार संरक्षण के लिये प्रदेश में विभिन्न संगठन कार्यरत हैं। लेकिन समस्या की गंभीरता और विशालता के मददेनजर एक साथ आकर आवाज बुलंद की जरूरत है वहीं पाठयक्रम में बाल अधिकारों को शामिल करले की जरूरत हैं।
एस के मिश्रा, उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चे देश के भविष्य हैं। बच्चों को जीवन, सुरक्षा, विकास तथा सहभागिता का अधिकार प्राप्त है। प्रदेश सरकार आईसीपीएस के तहत बाल अधिकारों को संरक्षण की दिशा में लागू करने को गंभीर है। सिविल सोसाइटी एलांयस द्वारा जो कार्य किया जा रहा है वो सराहनीय है। प्रदेश में आईसीपीएस के तहत 60 फीसदी कार्य हो पाया है सिविल सोसाईटी और सरकार मिलकर ही इस दिशा में कार्य को बढ़ायेंगे।
वर्कशाप में उड़ीसा से आये यूनीसेफ के प्रतिनिधि लक्ष्मी नारायण ने उड़ीसा में आई सीपीएस के तहत सिविल सोसाइटी के तहत हो रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया
पूर्वांचल ग्रामीण विकास संस्थान (पीजीवीएस) के सचिव एवं यूपीसीएसए के संयोजक डा0 भानू ने बताया कि प्रदेश में आई सीपीएस के लागू हुये छः साल हो गये हैं। यूपीसीएसए पिछले दो वर्षों से उत्तरप्रदेश में सक्रिय हैं। अतिथियों व प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुये यूपीसीएसए मीडिया कोर टीम के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार रजनीकांत वशिष्ठ ने यूपीसीएसए की गतिविधियों व कार्यवाहियों पर प्रकाश डाला। वर्कशाप में सदाकंात प्रमुख सचिव, बाल विकास एवं पुष्टाहार, उत्तर प्रदेश शासन रमेश मिश्रा, निदेशक महिला कल्याण उ प्र, अमित मेहरोत्रा, प्रोग्राम मैनेजर, यूनीसेफ, नुपूर पांडेय, चाइल्ड प्रोटेक्शन आफिसर, यूनीसेफ, अमित चौधरी, अखिल भारतीय अधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 आलोक चांटिया, अखिल भारतीय अधिकार संगठन की उपाध्यक्ष डा0 प्रीती मिश्रा, राज्य प्रतिनिधि, प्लान इंडिया, सुरोजीत चटर्जी, सेव द चिल्डेन, लक्ष्मीनारायण, चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट, यूनीसेफ, उड़ीसा, वीनिका करोली, क्राई, पीजीवीएस के सचिव व यूपीसीएसए के संयोजक डा0 भानु, यूपीसीएसए के मीडिया कोर ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार रजनीकांत वशिष्ठ एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।

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