Thursday 27 February 2014

नसीमुद्दीन सिद्दीकी आज भी उप्र सरकार के मंत्री

लखनऊ। सरकारी विभागों की सुस्त रफ्तार और लाहपरवाही किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश में नयी सरकार के गठन को लगभग दो साल होने जा रहे हैं लेकिन कई विभागों की बेवसाइटों में बसपा सरकार के मंत्री आज भी मंत्री पद पर सुशोभित हैं। यह सूचना आरटीआई कार्यकर्ता अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर द्वारा किये गए एक अध्ययन से सामने आई हैं।

जहां आरटीआई एक्ट की धारा 4 के अनुसार प्रत्येक लोक सेवक के लिए अनिवार्य है कि वे अपने सभी रिकॉर्ड को सूचीबद्ध कर उन्हें कम्प्यूटरीकृत करें और इस एक्ट के पारित होने के 120 दिनों के अन्दर उन्हें प्रकाशित करें, वहीँ उत्तर प्रदेश सरकार में जमीनी हकीकत इसके काफी विपरीत जान पड़ती है। इन दोनों ने यूपी सरकार के वेबसाइट पर प्रदर्शित 81 विभागों का विशेषकर धारा 4(1)(बी) में निर्धारित अनिवार्य सूचना की आवश्यकता की दृष्टि से अध्ययन किया।

अध्ययन से यह पाया गया कि लगभग किसी भी विभाग ने अपने कार्यों में प्रयुक्त नियम, नियमावली, निर्देश, मैनुअल और रिकॉर्ड आदि को इलेक्ट्रॉनिक स्वरुप में प्रस्तुत नहीं किया है. यह भी पाया गया कि ज्यादातर सूचनाएँ काफी पुरानी हैं। इसीलिए आज भी आरटीआई के सरकारी अभिलेखों में नसीमुद्दीन सिद्दीकी गन्ना विकास, नारायण सिंह उद्यान, लालजी वर्मा संसदीय कार्य तथा जगदीश नारायण राय हथकरघा विभाग के मंत्री के रूप में दर्ज हैं, जबकि वे मार्च 2012 में पद छोड़ चुके हैं। इसी प्रकार काफी पहले रिटायर हो चुके आर के शर्मा को उद्यान, श्री कृष्ण को हथकरघा तथा एस सी गुप्ता को आईटी विभाग में कार्यरत दिखाया जा रहा है।
ज्यादातर विभागों में जन सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारियों के नाम पुराने लिखे हैं और कईयों में अधूरी जानकारी दी गयी है. इसी प्रकार ज्यादातर विभागों में बजट का वर्ष नहीं दर्शाया गया है और कई विभागों में 2008-09 या 2009-10 जितने पुराने बजट ही दिखाए गए हैं।

प्राथमिक शिक्षा, समन्वय, संस्कृति, वित्त, मत्स्य, आधारभूत संरचना जैसे विभागों में आरटीआई में बहुत कम जानकारी दी गयी है। समग्र ग्राम विकास और लघु उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन विभाग में आरटीआई का उल्लेख तक नहीं है जबकि राजस्व और विधाई विभाग में  आरटीआई के लिंक तो हैं लेकिन नेट पर सम्बंधित लिंक नहीं खुलता है। राज्यपाल कार्यालय की आरटीआई सूचना मात्र अंग्रेजी में है जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा सीमित सूचनाएं ही दी गयी हैं। श्री ठाकुर और डॉ नूतन ने इन स्थितियों को समाप्त कराने हेतु सभी प्रयास करने की बात कही है।

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