Friday 28 February 2014

मोदी की रैलियों में भारी भीड़ से कांग्रेस हतप्रभ


धाराराम यादव
भाजपा द्वारा घोषित प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी एवं गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदी की रैलियों में लाखों की अपार भीड़ उमड़ने से कॉंग्रेस सहित सभी तथाकथित पंथनिरपेक्षतावादियों में अफरा-तफरी का माहौल है। लगातार पंथनिरेक्षता मंत्र का जाप करने वाले हतप्रभ हैं। उनकी अनर्गल बयानबाजियों का प्रभाव मोदी की रैलियों में अपार भीड़ के रूप में दृष्टिगोचर हो रहा है। कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के संभावित प्रत्याशी एवं पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गॉंधी घबराहट में अपनी रैजियों में ऐसी-एसेी बेतुकी बांते कर रहे हैं, जिससे ज्ञात होता है िकवे न केवल अपना आपा खो रहे हैं, वरन् निकट अतीत के अपने थोथे ज्ञान की भी खिल्ली उड़वा रहे हैं और जनता को भी भ्रमित कर रहे हैं। 
राहुल गॉंधी ने एक रैली में यह रहस्योद्घाटन करके उत्तर प्रदेश सरकार सहित केन्द्र सरकार एवं देश की प्रबुद्ध जनता को चौंका दिया कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीडि़त मुस्लिम नवयुवक पाकिसन की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के सम्पर्क में हैं। यह बात उन्हें एक गुप्तचर अधिकारी ने बताई है। यहीं यह प्रश्न उठता है कि क्या देश का गुप्तचर विभाग राहुल गांधी को अपनी जॉंच-पड़ताल के निष्कर्षो से अवगत कराता है? और राहुल जी गुप्तचर विभाग से प्राप्त सूचना का दुरूपयोग अपनी रैजियों में करते हैं। सारा देश जानता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की हत्या उनके निवास के भीतर दो सिख सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गयी थी, जिसके बाद कांग्रेसी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं द्वारा देशभर में करीब चार हजार निर्दोष सिखों की हत्यायें करवाई गयी थी। राहुल ने इसके बाद अपने पिता की हत्या किये जाने का उल्लेख किया जिन्हें लिट्टे उग्रवादियों ने मई 1991 में मारा था। इस भावनात्मक भाषण का रूख भाजपा की ओर यह कहकर मोड़ दिया कि भाजपा नफरत की राजनीति करती है और एक दिन वे स्वयं मार दिये जायेंगे, जिसकी उन्हें चिन्ता नहीं है। राहुल गांधी ने अपने इस भावनात्मक अनर्गल भाषण को इस संदर्भ के साथ प्रस्तुत किया मानों उनकी दादी और पिता की हत्या में कहीं से भाजपा का हाथ था। उनकी इस गलत बयानी का संज्ञान चुनाव आयोग सहित न्यायपालिका को भी लेना चाहिए। राहुल जी को भाषण की नफरत की राजनीति का अकाट्य प्रमाण भी देना चाहिए। 
राहुल गॉंधी ने राजस्थान और मध्यप्रदेश की अपनी चुनावी रैलियों में अनर्गल बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा साम्प्रदायिकता फैला रही है जिसके परिणाम स्वरूप आतंकवाद फैल रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गॉंधी सहित उनकी पूरी पार्टी को खुली चुनौती है कि उनमें से कोई विद्वान देश के ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में बिना किसी दल का नाम लिए साम्प्रदायिकता एवं पंथनिरपेक्षता को उसके लक्षणों एवं कारक तत्वों सहित दो टुक व्यारव्यथित एवं परिभाषित कर दें। यह चुनौती देश के सभी तथा कथित पंथनिरपेक्ष दलों द्वारा घोषित परिभाषा के कारण वे दल अपने आचरण,कार्यो एवं वक्तब्यों से स्वयं साम्प्रदायिक सिद्ध हो जायॅं तो किसी को आश्चर्य नहीं करना चाहिए। उत्तर प्रदेश की वर्तमान समाजवादी पार्टी सरकार ने मार्च 2012 में शपथ ग्रहण करते ही यह घोषणा कर दी कि केवल मुस्लिम लड़कियों को हाईस्कूल उत्तीर्ण करते ही तीस हजार रूपये एक मुश्त अनुदान दिया जायगा। कुछ दिनों बाद यह आदेश जारी कर दिया कि आतंकी विस्फोटों के सिलसिले में गिरफ्तार किये गये मुस्लिम युवकों को रिहा कर दिया जाय। यह बात अलम है कि जिला प्रशासन सहित न्यायापालिका द्वारा सरकार के इस आदेश को अनुचित मानते हुए मानने से इंकार कर दिया गयां इसी प्रकार देश के प्रधानमंत्री पर पहिला हक मुस्लिमों का है। देश के सभी विचारवान लोग बतायें कि सपा सरकार एवं कांग्रेसी प्रधानमंत्री डा0मनमोहन सिंह द्वारा एक धर्म के अनुयायियों के सम्बंध की गयी घोषणा पंथनिरपेक्ष है या साम्प्रदायिक?
अब सीधे-सीधे यह निष्कर्ष निकलता है कि इन पंथनिरपेक्षदलों के अनुसार पंथनिरपेक्षता की परिभाषा हर स्तर पर मुस्लिम पक्षधरता ही मानी जायगी। इसे ही तुष्टि करण आदि का नाम दिया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(1)एवं 16 (2) में धर्म के आधार पर सेवायोजन आदि में विनोद निषिद्ध होने के बावजूद मुस्लिमों को राजकीय सेवाओं में बार-बार आरक्षण का शिगूफा पंथनिरपेक्ष दलों द्वारा छोड़ा जाता है। यह बात अलग है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे हर बार रद्द कर दिया जाता है। आखिरी बार उत्तर प्रदेश आदि विधान सभा को चुनावों के पूर्व मुस्लिम समुदाय को सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़े वर्गो के 27 प्रतिशत आरक्षण में 4.5 प्रतिशत मुस्लिमों के लिए आरक्षित कर दिया गया। जबकि पिछड़े वर्गो की सूची में 21 मुस्लिमों की जातियॉं शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे आरक्षण रद कर दिया गया। राहुल गॉंधी, नितीश कुमार, मुलायम सिंह यादव सहित अनेक तथा कथित पंथनिरपेक्ष राजनेता बार-बार यह अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं कि भाजपा नफरत फैलाती है और सबको मिलाकर नहीं चलती। उनमें से किसी में इतनी ईमानदारी और साहस नहीं है कि वे कथन को सप्रमाण सिंद्ध करें। बार-बार वर्ष 2002 में हुए गुजरात व्यापी साम्प्रादायिक दंगों के लिए नरेन्द्र मोदी को जिम्मेवार ठहराया जाता है किन्तु किसी पंथनिरपेक्षतावादी में इतनी ईमानदारी शेष नहीं है कि 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर वहां के मुस्लिम समुदाय द्वारा 59 हिन्दू रामकार सेवकों को ट्रेन की बोगी में पेट्रोल-डीजल छिड़कर जीवित जलाकर मार डालने के बारे में उत्तरदायित्व निर्धारित करते। उस पर प्रश्न उठाते। आखीरकार जिस लोमहर्षक एवं वीभत्स घटना के कारण गुजरात व्यापी साम्प्रदायिक दंगा शुरू हुआ, उसके बारे में पूरा विवरण भी जनता के सामने आना चाहिए। उस साम्प्रदायिक दंगे के पूर्व भी गुजरात में कांग्रेस के शासनकाल में भी कई भयंकर दंगे हो चुके थे। वर्ष 1969 में 18 सितमबर में 22 सितम्बर तक कांग्रेसी मुख्यमंत्री हितेन्द्र देसाई के काल में भयंकर दंगा हुआ था। जिसमें मुस्लिम समुदाय के 500 लोग मारे गये थे। रेड्डी आयोग की रिपोर्ट में उसका पूरा विवरण है। 
प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की 31अक्टूबर 1984 को उनके दो सुरक्षा कर्मियों द्वारा की हत्या की प्रतिक्रिया में 3-4 दिन के भीतर करीब चार हजार निर्दोष सिखों की हत्या करवायी गयी थी। करना ही है तो दोनों नरसंहारों का एक साथ उत्तरदायित्व निर्धारित करें। दोनों नरसंहारों में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया। ये दोनों वीभत्स हत्यायें हत्याओं की र्प्रतिक्रिया में हुई थी। 
जमायते उल्माये हिन्दू के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने इस सच्चाई पर से परदा उठाकर देश के सभी पंथनिरपेक्षतावादियों की बोतली बंद कर दी कि गुजरात में 2002 के बाद विगत ग्यारह वर्षो में कोई साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ जबकि कथित सेकुलर दल कांग्रेस के शासनकाल में राजस्थाना में चार दर्जन साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं जबकि दूसरे मूर्धन्य पंथनिरपेक्ष दल समाजवादी पर्टी के उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार के करीब डेढ़ वर्ष के शासनकाल में 107 साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं। अंतिम भीषण दंगा मुजफ्फर नगर में अगस्त-सितम्बर में हुआ जिसमें प्रदेश सरकार के एक मंत्री संलिप्तता सहित उत्तर प्रदेश सरकार की निष्क्रियता सर्वोच्च न्यायालय में विचार हो रहा है। उत्तर प्रदेश सराकर द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट को अपनी सफाई दे दी गयी। दंगे पर माननीय कोर्ट की टिप्पणी पर उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता को हटा दिया गया। 
27.02.2002 को जब गोधरा के रेल ट्रैक पर 59 लोग जीवित जलाकर मारडाले गये थे, तो रेल मंत्रालय के मुखिया धुरंधर सेकुलर नितीश कुमार ही थे जो रेल यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ रहे। उन्हें यह बताना चाहिए कि उस लोम हर्षक नरसंहार के बाद वे कितनी बार गोधरा गये थे और क्या किया था? 
साम्प्रदायिक शक्तियों की रट लगांने वाले ही बता दें कि वे कितने पंथनिरपेक्ष हैं एवं उनकी पंथनिरपेक्षता की क्या विशेषता है? स्मरणीय है कि पंथनिरपेक्षता का बहुत सीधा साअर्थ है कि देश के सभी नागरिकों के साथ उनकी जाति और मजहब का विचार किये विना कानून एवं संविधान के अंतर्गत समान व्यवहार करना। अपनी वोट बैंक की राजनीति को तिलांजलि देकर सभी योजनओं को सभी नागरिकों के हित में समान रूप से लागू करना। इसके विपरीत किसी धर्म विशेष के लोगों के प्रति कानून की उपेक्षा करके व्यवहार करना पंथनिरपेक्षता नहीं हो सकती। 
नरेन्द्र मोदी के गुजरात में मुस्लिम अल्पसंख्यक उत्तर प्रदेश बिहार राजस्थान आदि तथाकथित पंथनिरपेक्षतावादी 2002 के गुजराज व्यापी साम्प्रदायिक दंगो के लिए नरेन्द्र मोदी के प्रति दुर्भावना रखते हैं। तो 1984 के सिख नरसंहार के लिए कांग्रेस के प्रति भी वही रवैया घोषित करना चाहिए। वर्ष 2002 के गुजरात व्यापी साम्प्रदायिक दंगों में 1159 लोग मारे गये थे जिसमें 790 मुस्लिम समुदाय के और 369 हिन्दू समुदाय के लोग मृतकों में शामिल थे जबकि1984 के सिख नरसंहार में 3874 लोग मारे गये थे जिनमें एक भी गैर सिख शामिल नहीं था। 
गुजरात की प्रगति एवं विकास की सारे देा में और अन्तर्राष्ट्रीय जगत में प्रशंसा हो रही है। गत 27 अक्टूबर 2013 को बिहार की राजधानी पटना में आयोजित नरेन्द्र मोदी की विशालतम रैली को वहां की नितीश कुमार की पंथनिरपेक्ष सरकार समुचित सुरक्षा प्रदान करने में लापरवाह रही। वहॉं सात बम विस्फोट हुए जिसमें 6 लोग मारे गये एवं एक सौ से ज्यादा घायल हो गये जिनका पटना मेडिकल कालेज में उपचार चल रहा है। नरेन्द्र मोदी की विशाल रैली देखकर और उनका भाषण सुनकर जद(यू)में बगावत हो गयी। जब नितीश कुमार को अपना घर बचाना कठिन हो रहा है। अब तक नितीश कुमार खुलकर नरेन्द्र मोदी विरोध और भाजपा से अपना 17वर्ष पुराना गठबंधन तोड़ने का कोई समुचित कारण नहीं बता सके और यादि कोई कारण हो तो साहस और ईमानदारी से उसे घोषित कर देना चाहिए। वे यह भी कहने के लिए स्वतंत्रत है कि इस प्रकार उन्होंने अपना मुस्लिम वोट वैंक सुरक्षित कर लिया है।

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