Monday 24 February 2014

सपा ने चुनावों के लिए कसी कमर

मृत्युंजय दीक्षित
विभिन्न टी वी चैनलों व स्वतंत्र मीडिया संस्थानों द्वारा कराये जा रहे सर्वेक्षणो में समाजवादी पार्टी अब प्रदेष में अन्य दलों की तुलना में पिछड़ती हुई दिखलाई पड़ रही है। यही कारण है कि प्रदेष के युवा, सषक्त, ऊर्जावान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अबब अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए एक के बाद एक फैसलंे लेते जा रहे हैं। जबकि धरातल में वास्तविकता कुछ और ही है। अपने निर्णयों के बाद सपा नेता भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी को भी विकास का झूठा आईना दिखाना चाह रही है।  फिलहाल समाजवादी पार्टी मुजफ्फरनगर व अन्य साम्प्रदायिक वारदातों के बाद अपनी छवि को सुधारने में पूरी तरह से विफल हो रही है तथा साईकिल यात्रा के बावजूद सपा प्रदेष मंे 20 से अधिक संसदीय सीटों पर विजयी होने की स्थिति में नहीं दिखलाई पड़ रही है।      सपा मुखिया को कई सीटों पर अपने प्रत्याशी बार- बार बदलने पड़ रहे हैं।सरकार व सपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत प्रदेष की लगातार खराब हो रही कानून- व्यवस्था व स्वयं सपा नेताओं की गुंडई एक बड़ा कारण बनकर उभर रही है। प्रदेष में महिलाओं की आबरू बेधड़क लूटी जा रही है। बलात्कार ,सामूहिक बलात्कार,युवतियों के साथ छेड़छाड़ तथा तेजाब डालने की वारदातें आम हो गयी हैं। वोट बैंक को खुश रखने के लिए सपा सरकार का एकपक्षीय शासन हालात को और अधिक बिगाड़ ही रहा है। सर्वोच्च न्यायालय में जिस प्रकार से प्रदेष सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे की जांच सीबीआई को सौंपने का विरोध किया है तथा आतंकियांे की रिहाई को लेकर जिस प्रकार से वह  सर्वोच्च न्यायालय गयी है उससे सरकार की कलई  खुल गयी है। अब यह साबित हो रहा है कि दंगों को लेकर सरकार की ओर से कुछ गड़बड़ अवष्य हुई है तभी सीबीआई जांच से घबरा रही है।प्रदेष की आमजनता में एक संदेष यह भी जा रहा है कि यह सरकार एकपक्षीय ढंग से चल रही है। अगर अभी विधानसभा चुनाव हो जायें तो सपा सरकार को बड़ा झटका लग जाये तो अतिषयोक्ति नहीं होगी। प्रदेष का जनमानस अपने आप को असुरक्षित और ठगा सा महसूस कर रहा है।        दूसरी ओर सपा सरकार प्रतिदिन कोई न कोई फैसला विषेष वर्गो को खुश करने के लिए ही ले रही है। सपा सरकार ने सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यक समुदाय की सहभागिता व उनकी षिक्षा को बढ़ावा देने को कारगर उपाय तलाषने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया है। सरकार द्वारा निर्धारित बिंदुओं पर रिपोर्ट देने के लिए इस समिति को एक वर्ष का समय दिया गया है। यह समिति इस बात का अध्ययन करेगी की कि वर्तमान में अल्पसंख्यकों की षिक्षा को प्रोत्साहित किए जाने के उद्देष्य से भारत सरकार तथा राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समाज के छात्र- छात्राओं को कितना मिल रहा है।प्राथमिक षिक्षा ग्रहण नहीं करने वाले अल्पंसख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं का प्रतिशत जानने के साथ ही स्नातकोत्तर स्तर तक अल्पसंख्यकों के षिक्षा का स्तर पता लगाया जायेगा।रिपोर्ट में यह भी विष्लेषण किया जायेगा कि अल्पसंख्यक समुदाय में सम्मिलित प्रत्येक समुदाय की अलग- अलग सहभागिता कितनी है ।हम सभी चाहते हैं कि देष व प्रदेष के अल्पसंख्यकों का  विकास हो लेकिन ऐसा विकास भी न हो कि सामाजिक समरसता को ही खतरे उपन्न हो जायें। इससे पूर्व सपा सरकार सहारनपुर में ष्षेखुल हिंद मौलाना मदनी मेडिकल कालेज की स्थापना करके भी अपनी वाहवाही बटोर चुकी है।     सपा सरकार बहुसंख्यक समाज का विभाजन कराकर भी वोट मांग रही है। सपा मुखिया को पता चल चुका है कि बहुसंख्यक समाज का एक बड़ा वर्ग  इस बार सपा का साथ नहीं देने वाला। यही कारण है कि उसने प्रबुद्ध सभा का गठन करके उसकी कमान कैबिनेट मंत्री मनोज पांडेय  को सौंप दी है। उन्होनें ब्राहमण समाज को अपनी ओर मोड़ने के लिए डोरे डालने की षुरूआत कर दी है। प्रदेष में प्रबुद्ध वर्ग को जोड़ने के उद्देष्य से  22 फरवरी को एक बड़ा सम्मेलन भी बुलाया है। इस वर्ग को लुभाने के लिए सपा सरकार पहले ही परषुराम जयंती पर अवकाष घोषित कर चुकी हैं।संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए भी कई घोषणायें हो रही हैं।      सपा चुनावों को जीतने के लिए साम,दाम,दंड, भेंद हर प्रकार की रणनीति बना रही है। प्रबुद्ध सभा के बाद वैष्यों को लुभाने के लिए आगामी 23 फरवरी को  विषाल व्यापारी सम्मेलन करने जा रही है। सपा को यह अच्छी तरह से पता है कि  ब्राहमण और वैष्य मतदाता अच्छी तरह से मोदी की हवा में उनके साथ बह सकते हैं इसलिए अब व्यापारी पंचायतें षुरू की जा रही हैं।दूसरी तरफ सपा सरकार प्रषासनिक स्तर पर भी मजबूती चाह रही है इसीलिए खूब धकाधक  ताष के पत्ते की तरह प्रषासनिक तबादले हो रहे हैं। चुनावी ऐलान तो खूब हो रहे हैं लेकिन व्यवस्था व अफसर मस्त  हो रहे हेैं। अपनी इच्छानुरूप तबादले करने के बाद मुख्यमंत्री अफसरों को नसीहत दे रहे हैं कि चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष होने चाहिये।यही कारण है कि राज्य सरकार की प्राथमिकताओं वाली योजनाओं व परियोजनओं में 25 प्रतिषत भी वृद्धि नहीं हो पायी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े हांे रहे हैं। अफसरों की नाकामी और सरकार का लचर रवैया सपा को नुकसान पहुँचा रहा है।      सपा सरकार में विकास के नाम पर जिस प्रकार के निर्णय लिये जा रहे हैं उससे समाज में केवल वैमनस्यता,घृणा , द्वेष, ईर्ष्या  व लालच तथा आलसी भाव ही समाज में पैदा हो रहा है।सामाजिक समरसता, अखण्डता का वातावरण को खतरा पैदा हो ंरहा है। भविष्य में आर्थिक अराजकता का भी खतरा है। सपा के समाजवाद की पोल खुल चुकी है। वंषवाद पर आधारित एकपक्षीयष्षासन व्यवस्था  लम्बे अंतराल तक राजनीति नहीं कर सकती। प्रेषकः - मृत्युंजय दीक्षित               

No comments: