Sunday 23 February 2014

समाज का व्यवहार सुधरता है साहित्यकार

साहित्यकार सिर्फ साहित्यकार होता है वह अधिकारी, कर्मचारी या पत्रकार बाद में होता है, उसकी संवेदनशीलता न सिर्फ अपने निजी कार्य में दिखाई देती बल्कि उसका अक्स रिसकर उसके सर्जन में भी परिलक्षित होता है. रविवार को एक ऐसा ही नजारा लखनऊ के विश्श्वरैया प्रेक्षागृह में देखने को मिला जब उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी और अधिकारी संवर्ग के सैकड़ों साहित्यकार एक साथ इकट्ठा हुए, अवसर था एक सम्मान समारोह का जिसमें सम्मानित साहित्यकारों के चेहरों की रौनक वाकई देखते ही बनती थी...प्रस्तुत है अतुल मोहन समदर्शी की रपट
संस्थान के उपाध्यक्ष श्री विनोद चन्द्र पाण्डेय विनोद स्वागत करते हुए 

संस्थान की त्रिमासिक पत्रिका अपरिहार्य का विमोचन करते अतिथिगण 

मंचासीन अतिथियों के साथ सम्मानित होने वाले सभी साहित्यकार 


‘राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान’, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में ‘पुरस्कार एवं सम्मान समारोह’ वर्ष 2013-14 का आयोजन ’विश्वेश्वरैया प्रेक्षागृह, लोक निर्माण विभाग (राजभवन के सामने), महात्मागाँधी मार्ग, लखनऊ, में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अम्बिका चैधरी, मंत्री, पिछला वर्ग कल्याण एवं विकलाँग कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार थे। समारोह के मुख्य विशिष्ट अतिथि डा0 ललित वर्मा, प्रमुख सचिव, भाषा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन तथा विशिष्ट अतिथि उमेश कुमार सिंह चैहान, संयुक्त सचिव, खाद्य विभाग, भारत सरकार थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोक रंजन, कृषि उत्पादन एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा की गयी। कार्यक्रम में संस्थान के सह संरक्षक और उर्दू अरबी और फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अनीस अंसारी भी
मंत्री अम्बिका चौधरी को स्मृति चिन्ह देते आलोक रंजन व अनीस अंसारी 

उपस्थित गणमान्यों को संबोधित करते संस्थान के अध्यक्ष आलोक रंजन 

मुक्य अतिथीय उद्बोधन देते कैबिनेट मंत्री अम्बिका चौधरी 
मंच पर उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मा. अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि/मुख्य विशिष्ट अतिथिगण द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात घनानन्द पाण्डेय ‘मेघ’ द्वारा वाणी वन्दना प्रस्तुत की गयी। संस्थान के यशस्वी वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद चन्द्र पाण्डेय ‘विनोद’ द्वारा साहित्यकारों एवं अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके पश्चात संस्थान की गतिविधियों के साथ प्रगति आख्या डा0 दिनेश चन्द्र अवस्थी, महामंत्री द्वारा की गयी।
मुख्य अतिथि द्वारा संस्थान की पत्रिका ‘अपरिहार्य’ का ‘पुरस्कार एवं सम्मान विशेषांक’, डा0 जटाशंकर त्रिपाठी ‘जिज्ञासु’ की ‘जीवेम शरदः शतम्’ (योगासन, प्राणायाम एवं ध्यान) एवं दयानन्द जडि़या ‘अबोध’ की कृति ‘डा0 मिर्जा हसन नासिर द्वारा काव्य में नवान्वेषण’ का लोकार्पण किया गया।
मुख्य अतिथि के रुप में समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग व विकलांग कल्याण मंत्री अम्बिका चैधरी ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और साहित्यकारों का दायित्त्व है कि उसे धुंधला न होने दें। वास्तविक तस्वीर इस तरह सामने लाया जाना चाहिए कि समाज का आचरण सुधरे तभी साहित्यकार का उत्तरदायित्व पूरा होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार साहित्य को पूरा संरक्षण और सम्मान देती है तथा संस्कृति की रक्षा के लिए संकल्पित है। उन्होंने राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के कार्यों की सराहना के साथ ही अपेक्षित सहायता दिलाने की घोषणा की।
संस्थान के अध्यक्ष एवं कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने कहा कि राज्य कर्मचारियों को नीरस कहा जाता है जबकि वह मानवीय विचारों के पक्षधर, सहृदय, सभी के लिए सुलभ सेवा साधक हैं। संस्थान ने राज्य कर्मचारियों की साहित्यिक प्रतिभा को सामने लाकर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाई है। उन्होंने राज्य कर्मचारियों से पूरी सहृदयता के साथ कार्य करने का आह्वान भी किया।
उर्दू-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संस्थान के सह संरक्षक अनीस अंसारी ने कहा कि साहित्य की बुनियादी जिम्मंदारी है कि सच को सामने लाया जाय। साहित्यकार अपनी जिम्मेदारी को उठायें तभी समाज का सर्वांगीण विकास होगा।
भाषा विभाग के प्रमुख सचिव एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डा.ललित वर्मा ने संस्थान के कार्यों की सराहना की तथा आश्वासन दिया कि भाषा विकास और उसके संरक्षण-संवर्द्धन में धन की कमी आड़े नहीं आएगी।
 खाद्य विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव उमेश कुमार सिंह चैहान ने कहा कि साहित्य मानव को मानवता की राह दिखाता है साथ ही जीवन जीने का तरीका भी सिखाता है। संवेदना-सहृदयता के साथ शासकीय कार्यों का निष्पादन और उसके साथ ही साहित्य-सृजन के लिए संस्थान ने यूपी में अच्छा वातावरण तैयार किया है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक संस्थायें और पत्रिकायें अल्पजीवी होती हैं किन्तु पिछले 15 वर्षों से राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान की गतिविधियां और 11 वर्षों से त्रैमासिकी ‘अपरिहार्य’ का अनवरत प्रकाशन साहित्य जगत में मील का पत्थर है।

इसके पश्चात इस आयोजन का मुख्य पुरस्कार एवं सम्मान का सत्र प्रारम्भ हुआ। अतिथिगण द्वारा साहित्यकारों को पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किये गये:- साहित्यिक पुरस्कार वर्ष 2013-14

1. पं0 महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार  : डॉ डी0आर0 विश्वकर्मा,
दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा-हिन्दी गद्य परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) विकास अभिकरण, फर्रुखाबाद,
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र उ0प्र0।

2. सुमित्रा नन्दन पंत पुरस्कार ः श्री राम प्रसाद वर्मा ‘सरस’,
दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा-हिन्दी पद्य अपर साँख्यकीय अधिकारी, 
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र)  मनोरंजन कर आयुक्त,
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र जवाहर भवन, लखनऊ,

3. अमृतलाल नागर पुरस्कार ः प्रो0 जसवंत नेगी,
हिन्दी गद्य की मौलिक कृति ‘मनोरम’ क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, मेरठ
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र)
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र

4. जयशंकर प्रसाद पुरस्कार ः श्री विजय प्रसाद त्रिपाठी
हिन्दी पद्य की मौलिक कृति ‘इदं राष्ट्राय’ अनु सचिव, सचिवालय प्रशासन 
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) विभाग, उ0प्र0 सचिवालय उ0प्र0 
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र

5. डाॅ0 विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार ः श्रीमती सुधा शुक्ला,
हिन्दी गद्य की मौलिक कृति ‘छाया मत छूना उपसचिव, कृषि विभाग,उ0प्र0 
मन’ रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र)   सचिवालय, लखनऊ,
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र

6. डाॅ0 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पुरस्कार  ः डा0 कृष्ण कुमार ‘नाज’
हिन्दी पद्य की मौलिक कृति ‘उगा है फिर’ उर्दू अनुवादक, सह वरिष्ठ सहायक, 
नया सूरज’ रु0 51,000/- कार्यालय जिला गन्ना अधिकारी, 
(रुपये इक्यावन हजार मात्र)  गन्ना भवन, सिविल लाइन्स, 
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र               मुरादाबाद, उ0प्र0।

7. मिर्जा असदउल्ला खाँ ‘गालिब’ पुरस्कार  ः डा0 जब्बार अली अंसारी
उर्दू भाषा गद्य में दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा, उर्दू अनुवादक, प्रशिक्षण एवं 
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र)  सेवायोजन निदेशालय, लखनऊ
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र 
8. फिराक़ गोरखपुरी पुरस्कार ः श्री सरदार आसफ खाँ,
उर्दू भाषा पद्य की मौलिक कृति ‘मुहाज़ पर मैंे’ मण्डलीय उपनिदेशक (पंचायत), 
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र)  पंचायत भवन, मुरादाबाद मण्डल, 
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र             मुरादाबाद

संस्थान की पत्रिका ‘अपरिहार्य’ एवं संस्थान को अमूल्य योगदान देने हेतु 
‘साहित्य गौरव सम्मान’
(1) श्री शीलेन्द्र कुमार सिंह चैहान
        (2) डा0 परशुराम पाल,
        (3) डा0 ठाकुर प्रसाद ‘राही’, 
        (4) डा0 वरुण नारायण,
(5) श्री चक्रपाणि पाण्डेय,
        (6) श्री नंद कुमार मनोचा ‘वारिज’
(7) श्री बृजेश चन्द्र, 
        (8) डा0 अशोक शर्मा,
(9) श्री रामदेव लाल ‘विभोर’,
        (10) श्री रवि अवस्थी,
(11) डा0 अनामिका श्रीवास्तव,
        (12) डा0 सहबान अहमद,
(13) डा0 मंजु शुक्ला,
        (14) डा0 सुनील कुमार,  
(15) श्री शारदा प्रसाद शर्मा ‘शारदेन्दु’,
        (16) डा0 रामा आर्य ‘रमा’,
(17) श्री अनिल श्रीवास्तव,
        (18) श्री मनोज अवस्थी ‘शुकदेव’
(19) श्री प्रभाशंकर भट्ट,
        (20) श्री शिव कुमार व्यास 
(21) श्री सुधीर निगम
उक्त सभी साहित्यकारों को प्रशस्ति-पत्र, अंग-वस्त्र एवं स्मृति-चिन्ह प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त संस्थान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने तथा मार्गदर्शन देने वाले संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष श्री उमेश कुमार सिंह चैहान जी तथा संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनीस अंसारी जी को अभिनन्दन-पत्र तथा कोषाध्यक्ष हरी प्रकाश ‘हरि’ को प्रशंसा-पत्र भी प्रदान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डा0 रश्मिशील एवं सुरेश ‘उजाला’ द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पधारे हुए अतिथियों/साहित्यकारों/श्रोताओं एवं अन्य उपस्थित महानुभावों के प्रति संस्थान के उपाध्यक्ष सुनील कुमार बाजपेयी ने आभार/धन्यवाद व्यक्त किया।
(डा0 दिनेश चन्द्र अवस्थी)
महामंत्री
9919281002

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