Monday 24 February 2014

आखिर कौन कर रहा है जहर की खेती ?


-मृत्युंजय दीक्षित 


विगत दिनों कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी ने गुजरात में ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी को घेरने के उद्देश्य से गुजरात का सघन चुनावी दौरा किया। वहां आयोजित एक जनसभा में राहुल ने ओवरस्मार्टनेस दिखाते हुए तथा भारी भीड़ से उत्साहित होकर मोदी व संघ परिवार पर गांधीजी की हत्या की आढ़ लेकर सीधा हमला बोल दिया। राहुल गांधी ने कहाकि मोदी व संघ परिवार देश में जहर की खेती कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उल्लू शब्द का प्रयोग किया है। आज देश की राजनीति का वातावरण बहुत ही कलुषित हो गया है। वोट बैंक की राजनीति के लिए आज देश के राजनेता किस सीमा तक नीचे जा रहे हैं यह उनके बयानों से परिलक्षित हो रहा है।

अभी तक राहुल व गांधी परिवार ने संघ परिवार पर सीधा हमला नहीं बोला था लेकिन गुजरात में  उन्होंने  कर दिखाया। राहुल वास्तव में ओवरस्मार्ट हो गय हैं। आखिर हो भी क्यों न क्योंकि जापान की एक कंपनी से अपनी छवि को सुधारने के लिए  उन्होंने पांच सौ करोड़ का अनुबंध जो कर लिया है। लेकिन छवि है कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है। अपितु इसके विपरीत वह और खराब होती जा रही है। बिना संघपरिवार को जाने समझे उसके खिलाफ जहर उगल रहे हैं। जबकि वास्तव में सबसे अधिक जहर की खेती करने का काम कांग्रेस ही कर रही है। राहुल को यह नहीं पता है कि संघपरिवार एक सामाजिक- सांस्कृतिक  संगठन है तथा उसके विभिन्न प्रकल्प देश व विदेश में  सेवा कार्यो का संचालन कर रहे हैं। संघ को बदनाम करने के पीछे बहुत गहरी चाले हैं। इसकी आड़ में गांधी परिवार व कांग्रेस की सत्ता केवल मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को बरगलाने का काम कर रही है। इस बार मोदी के विकास के नारे के कारण अल्पसंख्यक समुदाय के बीच मोदी की लोकपिय्रता काफी तेजी से बढ़ रही है। मोदी की जनसभाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भारी संख्या में शामिल हो रहे हैं जिसके कारण इन दलो में भय व्याप्त हों गया है। एक सर्वे के अनुसार 2004 के चुनावों में भाजपा को पांच प्रतिषत मुस्लिम वोट मिले थे लेकिन मोदी लहर में इसमें दो प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। यदि ऐसा वास्तव में हो गया तो उत्तर प्रदेश का चुनावी गणित पूरी तरह से गड़बड़ा जायेगा। यही कारण है कि मोदी व संघ परिवार पर अब सीधे हमले किये जा रहे हैं। एक मैगजीन द्वारा असीमानंद प्रकरण की आड़ में संघप्रमुख मोहन भगवत पर सीधा हमला बोला गया। ठीक उसी खुलासे के बाद राहुल का यह जहरीला बयान आया।

जबकि सच्चाई कुछ और ही कहानी कह रही है। 1984 में सिख दगों का दोषी कौन है। आज तक किसी भी दोषी को नहीं पकड़ा गया। दोषियों को बचाने के लिए अदालतों  व जांच प्रक्रिया को पूरी तरह से तहस- नहस किया गया। यही कारण है कि सिख दंगों में शामिल सभी कांग्रेसी नेता गांधी परिवार की घोर चापलूसी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ऐन चुनाव के पहले जैन समाज को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देने की क्या आवश्यकता थी ? कांग्रेस की ही सरकार ने अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए रंगनाथ मिश्र व सच्चर आयोग का गठन किया था लेकिन उनकी रिपोर्टों का क्या हश्र हुआ, यह पूरा देश जान रहा है। अब इन रिपोर्टो का उपयोग केवल मुस्लिम वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए तथा अपने हित को साधने के लिए किया जा रहा है।आज देश  का मुसलमान अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहा है। उसे लग रहा है कि  ये सभी दल केवल और केवल घोषणा बाज और बयान बहादुर हैं। वह केवल मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं का दोहन कर रहे हैं। कांग्रेस व अन्य दल मुस्लिम समाज का शोषण कर रहे हैं।

गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी को क्लिन चिट मिल चुकी है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें यह चिट दी गयी है। लेकिन राहुल व गांधी परिवार के चापलूस अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। वे बार बार गुजरात दंगों के लिए मोदी को ही दोष सिद्ध करने में लगे हुये हैं। जबकि वास्तविकता और आंकड़े यह साबित कर रह हैं कि देश मे सर्वाधिक दंगे कांग्रेस व गैर कांग्रेसी दलों के षासन में ही हुये हैं।

गृहमंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भाजपा और कांग्रेस शासित राज्यों में कानून व्यवस्था कील स्थिति को लेकर कोई बहुत बड़ा अन्तर नहीं है । विगत तीन वर्षो में कांग्रेस शासित राज्यों में सांप्रदायिक दंगों की कुल 664 घटनाएं हुई जबकि भाजपा शासित  राज्यों में कुल 651 घटनाएं हुईं।कांग्रेस शासित महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल और राजस्थान में सबसे अधिक साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं। गंभीर रूप से प्रभावित राज्यों की श्रेणी में गुजरात, मध्यप्रदेश और कर्नाटक भी शामिल हैं। उप्र में सबसे अधिक हिंसा हुई जहां समाजवादी शासन है। कुल मिलाकर यदि आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो महाराष्ट्र में 270, राजस्थान में 131 केरल में 127 आंध्र प्रदेश में 108 घटनाएं घटित हो चुकी हैं। अन्य राज्यों में कुल मिलाकर 664 दंगे हो चुके हैं। जबकि भाजपा शासित मप्र में 257, गुजरात में 172, कर्नाटक में 212 अन्य राज्यो में दस कुल मिलाकर 10 तथा इस प्रकार 651 मामले समाने आये हैं। साथ ही विगत तीन वर्षों  में साम्प्रदायिक तनाव में काफी वृद्धि हुई है। जिसमें 2011 में 580, 2012 में 668 और 2013 मे 822 घटनाएं प्रकाश में आयी हैं। यह तो हाल के वर्षो के ताजा आंकड़ें हैं लेकिन आजादी के बाद से अब तक देश में कांग्रेस व कांग्रेस के गर्भ से पैदा हुए दलों का ही शासन रहा है।

कांग्रेसी नेता इन दंगों की जिम्मेदारी अपने ऊपर क्यों नहीं ले रहे हैं। अभी तक किसी भी दंगे में किसी बड़े नेता की भूमिका सामने नहीं आ पा रही है कारण साफ है दंगों का केवल राजनैतिककरण किया जा रहा है। जिससे देश का विकास बाधित हो रहा है। कांग्रेस केवल गुजरात और मोदी को  जहर की खेती कहकर बदनाम और अपमानित करने का घृणित खेल खेल रही है। इसी जहर की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिये वह साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक बिल लेकर आ गयी। इस कानून से देश में दंगें तो नहीं रूकते लेकिन देष के संवैधानिक ढांचे को अवश्य नुकसान पहुँचता और सामाजिक सरसमता का वातावरण भी तहस- नहस हो जाता। सामाजिक वैमनस्यता का भाव तो कांग्रेस ही पैदा कर ही है। दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों के  बीच भी कांग्रेस ने ही जहर की खेती की है।देष के बहुसंख्यक समाज को विभाजित करने व  धर्मो के आधार पर नीतियां बनाने योजनायें धोषित करने का काम कांग्रेस ही करती है। आज देश जिन हालातों में पहुँच गया है उसके लिये कांग्रेस ही दोषी हैं। अपनी 65 वर्षो। की नाकामियों को छुपाने के लिए कांग्रेस गड़े मुर्दे उखाड़ कर अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मार रही है। राहुल के पिता राजीव ने भी संघ परिवार के लिए इतने कटुवचन नहीं कहे थे। अतः राहुल को अभी बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है उन्हें ओवरस्मार्टनेस दिखाने की आवश्यकता नहीं हैं। यदि वे नहीं सुधरे तो जनता सुधारेगी।

-मृत्युंजय दीक्षित टिप्पणीकार और राजनीतिक विशलेषक हैं।

No comments: